गौ- आधारित कृषि से देश की अर्थव्यवस्था में बड़ी तेजी का अनुमान
महाराष्ट्र -तेलंगाना -मध्यप्रदेश के एक दर्जन गाँवों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का कृषि में उपयोग शुरू
गौ -आधारित कृषि आधुनिक तकनीकों की सहायता से देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान बढ़ाने जा रही है। वर्ष २०३० तक हमारे सकल घरेलु उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान १८ प्रतिशत के वर्तमान स्तर से बढ़कर ४५ प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। हमारा कृषि उत्पाद लगभग ३०० प्रतिशत तक बढ़कर आबादी के लगभग ६५ प्रतिशत को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में रोजगार से जोड़ेगा किन्तु कृषि पर निर्भर लोगों की आबादी घटकर ३० प्रतिशत या कम हो जाने का अनुमान है। अभी इस क्षेत्र में आबादी के ५० प्रतिशत लोगों को कुशल और अकुशल श्रमिकों के रूप में रोजगार मिला हुआ है। सघन खेती , हर फसल के बाद मिट्टी की गुणवत्ता की सरल जांच विधि की पंचायत स्तर पर सुलभता और रासायनिक उर्वरकों का न्यूनतम उपयोग न केवल मिट्टी और पर्यावरण बल्कि मनुष्यों के स्वास्थ्य में भी आमूलचूल परिवर्तन लाएगा।
कानपुर आई आई टी के वैज्ञानिक जयंत सिंह ने तीन अन्य शोधकर्ताओं की सहायता से ‘भू परीक्षक ‘ नामक यंत्र का निर्माण किया है जिससे किसान हर फसल के बाद अपने खेत की मिट्टी में हुए परिवर्तन का पता मात्र ९० सेकेंड्स में लगा लेगा। इससे किस तरह की मिट्टी में कौन सी फसल लगनी चाहिए , कितना बीज – कौन सा उर्वरक – कितना पानी कब और कैसे देना चाहिए इस बात की जानकारी किसानों को सहज ही हो जाएगी। जयंत ने बताया कि मिटी को खोदकर उसको बिलकुल पावडर की तरह पीसके मोबाईल फोन में सुरक्षित इस एप्लिकेशन की सहायता से बिना किसी रासायनिक प्रक्रिया से होकर गुजरे मिट्टी की गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य की जानकारी किसान को हाथोंहाथ हो जाएगी जिसके लिए आमतौर पर ४५ से ६० रोज तक का समय लगता था। इससे किसान को यह जानकारी हर बार हो जाया करेगी कि इस फसल सत्र में उनको कौन सा बीज रोपना है और कौन से उर्वरक का प्रयोग करना है। मिटी के स्वास्थ्य की जानकारी रहने के कारण अनुमान पर नहीं बल्कि सटीक जानकारी के साथ खेती करना संभव होगा। उक्त भू परीक्षण यंत्र का मूल्य लगभग एक लाख २५ हज़ार रूपये है जिसको मोबाईल एप्प की सहायता लेकर पुरे खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य परीक्षण ९० सेकेण्ड में कर लिया जायेगा। जयंत को विशवास है कि पंचायत स्तर पर उपलब्ध होते ही इस यंत्र का लाभ सामूहिक रूप से भी किसानों को मिलना शुरू हो जायेगा।
वर्ष १९६० से हमारे देश की खेती-किसानी में आधुनिक तकनीकों का उपयोग शुरू हुआ और आज हमलोग कृषि कार्य में तीव्र गति से उन्नति करने के लिए कृत्रिम बौद्धिकता यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ( आई ए ) का उपयोग भी करने लगे हैं। महाराष्ट्र -तेलंगाना और मध्यप्रदेश के लगभग एक दर्जन गावों में इसका प्रयोग इस वर्ष शुरू हुआ है और आशा है कि अगले वित्त वर्ष से कृषि क्षेत्रों में सुधारों की शुरुआत के साथ इसका उपयोग देश भर में फैलेगा। इससे कृषि गतिविधियों में सुगमता पैदा हुई है. इससे फसल उत्पादन, कटाई, प्रसंस्करण और विपणन में सहायता मिलती है. नवीनतम स्वचालित प्रणालियों में कृषि रोबोट और ड्रोन, ने कृषि के क्षेत्र में संभावनाओं के नए द्वार खोले है.
कृषि क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली एआई तकनीक के निम्न लाभ है -:
• इसका इस्तेमाल खेतों में खरपतवारों और कीटों के प्रभाव को कम करने के लिए किया जाता है.
• इसका इस्तेमाल कृषि रोबोटिक्स में भी किया जाता है.
• ड्रोन को फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने में भी इस्तेमाल किया जाता है.
• फसल की देखरेख के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
• अप्रत्याशित मौसम की विषम परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व जानकारी के आधार पर किसान भाई अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं.
• वर्तमान में भारत अन्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने की और अग्रसर है. यह किसानों की मेहनत का नतीजा है और यह संभव हो पा रहा है क्योंकि सरकार प्रयासरत है किसानों की सहायता के लिए. कृषि गतिविधियों के संचालन में तकनीकियों का इस्तेमाल करके कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है
• वर्तमान में भारत अन्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनने की और अग्रसर है. यह किसानों की मेहनत का नतीजा है और यह संभव हो पा रहा है क्योंकि सरकार प्रयासरत है किसानों की सहायता के लिए. कृषि गतिविधियों के संचालन में तकनीकियों का इस्तेमाल करके कृषि से अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है
एआई एक कंप्यूटिंग सिस्टम है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता को आसानी से उन कार्यों को करने के लिए अपनाया जा सकता है, जो मानव द्वारा कंप्यूटर के माध्यम से किये जाते हैं। यह मानव की तुलना में उन्नत प्रदर्शन करता है। एआई, कृषि में स्वचालन और रोबोटिक्स को अपनाकर विश्लेषणात्मक एवं ज्ञान दृष्टिकोण द्वारा शारीरिक श्रम को कम कर सकता है। कृषि में अधिक ऊर्जा के साथ लंबी अवधि तक कई कृषि कार्यों को करना पड़ता है। उदाहरण के लिये ट्रैक्टर चलाना, कटाई, रसायनों का अनुप्रयोग, सिंचाई आदि का संयोजन करना आदि। इन कार्यों को निष्पादित करने के लिए फसल, मिट्टी , वातावरण और अन्य कारकों का विश्लेषण करना आवश्यक हो जाता है। जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या वृद्धि और खाद्य सुरक्षा जैसे कारकों ने फसलों की उपज की सुरक्षा एवं सुधार के लिए, वैज्ञानिकों को नवीन दृष्टिकोणों की खोज करने के लिए प्रेरित किया है। परिणामस्वरूप आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई तकनीकी कृषि विकास में प्रयोग में आ रही है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शब्द का उपयोग कंप्यूटर और प्रौद्योगिकी को परिभाषित करने के लिए किया जाता है। जॉन मैकार्थी ने वर्ष 1956 में इस शब्द को कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा के रूप में गढ़ा, जो कंप्यूटर को इंसानों की तरह कार्य करने से संबंधित है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटर विज्ञान से अलग है। यह समझने, तर्क और कार्य निर्देशन में बहुत परिपक्व है। यह कृषि को और अधिक लाभदायक बनाता है। यह कृत्रिम न्यूरॉन्स और वैज्ञानिक सूत्रों की मदद से काम करता है। कंप्यूटर, मनुष्य की बुद्धि क्रिया का अनुकरण करता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कंप्यूटेशनल मॉडल के माध्यम से मानसिक शंकाओं का अध्ययन है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, तर्क, नए कौशल सीखने और नई स्थितियों और समस्याओं को अपनाने जैसे बुद्धिमत्ता कार्यों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसमें लागू विभिन्न विशिष्ट विधियां हैं जैसे-न्यूरल नेटवर्क, फजीलॉजिक, इवोल्यूशनरी कंप्यूटिंग और हाइब्रिड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इत्यादि। कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सबसे लोकप्रिय अनुप्रयोग मौसम बदलाव, खेत की फसल का आकलन, पैदावार, बाजार की मांग और आपूर्ति जैसे फसल के कारोबार पर प्रभाव डालने वाले विभिन्न कारकों का अनुमान लगाने में करके किसान लाभान्वित हो सकते हैं . पोषक तत्वों और रासायनिक अनुप्रयोगों की उचित मात्रा की आवश्यकता होती है। कृषि कार्यों में एआई आधारित स्वचालन का उपयोग करके कृषि में सटीक संचालन में उच्चतम स्तर को लाने में मदद मिलती है।
एआई आधारित मशीनरी और रोबोटिक्स का उपयोग आवश्यक कृषि कार्यों के लिए किया जाता है। ये मानव और सामान्य मशीनरी की तुलना में तेज तथा अधिक कुशलता का प्रदर्शन करते हैं। प्रिसिजन एग्रीकल्चर के लिए फार्म प्रबधंन में सचूना प्राद्योगिकी, रिमोर्ट सेंसिंग और डेटा एकत्र करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे कितना, कहां, क्या, कब और कैसे काम करना है उसके निर्देश मिल जाते हैं। ये प्रौद्योगिकियां मुनाफे का अनुकूलन करती हैं और विपरीत पर्यावरणीय प्रभावों को कम करती हैं। सेंसर, वास्तविक समय पर डेटा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे-मिट्टी और परिवेश का तापमान, नमी, सिंचाई जल, मृदा की चालकता और पी-एच मान, मृदा पोषक तत्व, सिंचाई पानी के गुण इत्यादि। इन आंकड़ों को संचार माध्यमों द्वारा ताररहित माध्यम (वाइफाई, ब्लूटुथ और इंटरनेट) द्वारा प्रेषित किया जा सकता है। विभिन्न सॉफ्टवेयर का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण किया जाता है। कृषि कार्यों के प्रबंधन के लिए उनके विश्लेषण परिणाम का उपयोग किया जाता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कृषि संचालन के प्रबंधन में एक नई दिशा दे रहा है।
प्रत्येक फसल के अंत में अगली फसल की बुआई और रोपण के लिए खेत की तैयारी आवश्यक है। भारत जैसे अधिकांश विकासशील देशों में ट्रैक्टर या पॉवर टिलर का प्रयोग करके खेत को तैयार किया जाता है। कुछ स्थानों पर बैलचालित हल का उपयोग किया जाता है। खेत की तैयारी में सबसे ज्यादा लागत आती है। इसलिए एआई तकनीक का उपयोग करके लागत में कटौती करने की एक बड़ी गुंजाइश है। इसमें मृदा के प्रकार, मृदा के घनत्व और संचालन की आवश्यक गहराई का विश्लेषण करने की क्षमता है। स्वचालित गहराई और ड्रॉफ्ट नियंत्रण तंत्रों को अपनाकर एआई तकनीक द्वारा जुताई और संचालन की गहराई को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, वर्तमान समय में कई वाहनों में ऑटोमेशन और रोबोटिक्स एप्लीकेशन को देखा गया है। यह ट्रैक्टर या कृषि वाहनों में आसानी से अपनाया जा सकता है और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसके द्वारा स्वचालित प्रत्यारोपण उपकरणों का उपयोग जैसे-धान, सब्जियों फसल के बीज के लिए किया जा सकता है।
मृदा में पोषक तत्वों का अनुप्रयोग लागत प्रभावी और श्रम साध्य है। उचित एवं उपयुक्त मात्रा में बीज -खाद -कीटनाशक -पानी आदि देने के लिए विश्लेषणात्मक अध्ययन एवं जानकारी की आवश्यकता पड़ती है। मृदा में पोषक तत्वों की खेत में आवश्यकता भिन्न हो सकती है। इसके लिए पोषक तत्वों का समान दर पर वितरण उचित नहीं है। इसके परिणामस्वरूप निवेश की उच्च लागत और पयार्वरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। रसायनों के विवेकपूर्ण अनुप्रयोग के लिए, खरपतवारों और कीटों या रोगों से संक्रमित लक्ष्य स्थान की पहचान के लिए, एक मानचित्र प्रणाली की आवश्यकता होती है।
मृदा की नमी की मात्रा समय के साथ और वाष्पीकरण के साथ बदल जाती है। इसलिए पानी के प्रति संवेदनशील फसलों के लिए मृदा नमी की निरंतर निगरानी महत्वपूर्ण है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से क्षेत्र में सिंचाई प्रणाली में स्वचालन संभव है। एआई इलेक्ट्रिक पंप के साथ एकीकृत, नमी सेंसर से क्षेत्र के पानी की मात्रा का विश्लेषण होता है, और वास्तविक समय के डेटा के आधार पर, एआई पंप को नियंत्रित करने के लिए, स्वचालन प्रणाली में पंप को इस प्रणाली के साथ जोड़ा जाता है। इससे बहुत अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।
रसायनों के समान वितरण के कारण, निक्षेप, अधिक मात्रा में या कम मात्रा में होता है। जब एक बड़े क्षेत्र को छोटी इकाई में विभाजित करके, उपलब्ध पोषक तत्वों के स्तर पर पोषक तत्व की उपलब्धता का नक्शा बनाकर प्रसंस्करण या कंप्यूटिंग इकाई में दिया जाता है, तब एआई तकनीक के साथ पोषक तत्व नक्शा आधारित रासायनिक और उर्वरक वितरण अधिक प्रभावी है। इसी तरह इमेज प्रोसेसिंग तकनीक का उपयोग करके कीट या रोग के संक्रमण का स्तर एवं स्थान का पता लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त स्थान को अक्षांश और देशांतर स्थिति के अनुसार चिन्हित किया जाता है। इन आंकड़ों का उपयोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली द्वारा रोबोट या स्वचालित एप्लीकेटर द्वारा सटीक प्रबंधन को निष्पादित करने के लिए किया जाता है। इसके बाद, क्षेत्र में रसायनों और उर्वरकों का प्रयोग स्वचालन प्रणाली और रोबोटिक्स एप्लीकेशन द्वारा खेत या ग्रीनहाउस में उचित दर से किया जाता है।
रोगों और कीटों के प्रकोप के कारण फसल क्षतिग्रस्त हो जाती है। एआई द्वारा फसल रोग और कीट उपस्थिति का पता लगाने में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है, जो प्रबंधन के लिए प्रमुख कारक हैं। इसलिए सेंसर आधारित वास्तविक समय डेटा संग्रह और इसका कुशलतापूर्वक विश्लेषण एआई द्वारा निरंतर करते हुए निगरानी संभव है। छवि प्रसंस्करण एक उन्नत तकनीक है, जिसका उपयोग फसल में रोग आरै कीट का पता लगाने के लिए किया जाता है, ताकि कीटनाशक के अनुकूलतम प्रयोग के साथ संक्रमण को नियंत्रित किया जा सके। समस्या से निपटने के लिए उपयुक्त मॉडल के साथ आंकड़ा सेट करके विश्लेषण और प्रशिक्षण के लिए गणितीय दृष्टिकोण और तार्किक पद्धतियों का उपयोग किया जाता है।
ए.आई. आधारित तकनीक खरपतवार का पता लगाने और यांत्रिक या रसायन स्वचालन प्रणाली द्वारा निराई के लिये बहुत उपयोगी है। क्षेत्र के हरे रंग का विश्लषेण किया जाता है और तदन्सुार, खरपतवारनाशक का छिड़काव किया जाता है। इसके अलावा फसल की रूपरेखा/रूपात्मक विशेषता का पता लगाने वाली तकनीक द्वारा खरपतवारों की पहचान करने और मुख्यफसल को खरपतवारों से अलग करने के लिए उपयोग किया जाता है। फसलों और खरपतवारनाशी के मापदडों का विश्लषेण किया जाता है और विभिन्न विशिष्ट विशषेताओं और परिकल्पना के अनुसार क्लस्टर में विभाजित किया जाता है। इससे खरपतवार और फसल की विशषेता को विकसित किया जाता है। इसका उपयोग खरपतवार सक्रंमण को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
कटाई के लिए फसल की परिपक्वता का सही स्तर महत्वपूर्ण है। नमी की अधिक मात्रा के कारण फसल की अपरिपक्व कटाई से नुकसान होता है, जिससे किसान को हानि होती है। इसलिए उपयुक्त कटाई का समय बहुत महत्वपूर्ण है और यह विभिन्न आदानों जैसे कि भौतिक गुणों रंग, गंध, घनत्व, नमी आदि जैसे विभिन्न मापदंडों का विश्लेषण करके किया जाता है। एआई में फसल मापदंडों की परिपक्वता संबंधित मानक हस्ताक्षर से तुलना करने की क्षमता होती है। छवि प्रसंस्करण और ई-नाक सेंसर फसल की परिपक्वता का आकलन करने में प्रभावी पाए जाते हैं। इनके उपयोग से फसल के नुकसान को बचाया जा सकता है तथा किसान के लाभ को बढ़ाया जा सकता है।
मौसम एक बहुत ही गतिशील प्रक्रिया है, जिसका खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। फसल की उच्चतम पैदावार मौसम पर निर्भर करती है, इसलिए उचित वर्षा, गर्मी का दुष्प्रभाव, प्रतिदिन धूप की अवधि, आर्द्रता, प्राकृतिक आपदा के पूर्वानुमान जानना आवश्यक है। मौसम की निगरानी, पूर्वानुमान और रिपोर्टिंग में एआई की महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्षा, तापमान, हवा की गति, आर्द्रता, गर्मी आदि जैसे मौसम मापदंडों के आकड़े (डेटा) एकत्रित करने के लिए विभिन्न सेंसर का इस्तेमाल कर लंबी अवधि में डेटा संग्रहित करना संभव हो सकता है। दैनिक डेटा का भंडारण, विश्लेषण और रिपोर्टिंग स्वचालित रूप से एआई तकनीक द्वारा किया जाता है, जबकि एआई पुराने डेटा रुझान से मौसम की पूर्वानुमान कर सकता है। पूर्वानुमानों का उपयोग तद्नुसार समय पर कर उचित कार्रवाई से फसल उत्पादन के नुकसान को कम किया जा सकता है।
एआई का उपयोग छोटे भूमिधारकों के लिए बहुत उपयुक्त है। भारत में ऐसे छोटे किसानों की एक बड़ी संखया है। इससे रोपण की बारीकियों (बीज की गहराई, स्थान, दर, आवश्यकताओं के अनुसार उर्वरक), रोगों की जानकारी, सिंचाई समय सारणी फसल की परिपक्वता स्तर आदि पर जानकारी मिलती है। विभिन्न मानकों पर विवरण एकत्र करने के लिए कृषि कार्यों में उपयोग किए जाने वाले सेंसर, इंटरनेट ऑपफ थिंग्स भी वास्तविक समय में सूचना देने और समाधान के लिए खेतों में एक महत्वपूर्ण कारक हैं। खेती में किसान एआई द्वारा प्राप्त सूचनाओं का प्रयोग कर सकते हैं, जो सेंसर के माध्यम से वास्तविक काल में उपयुक्त कदम उठाने में मदद करता है और समाधान देता है। एंड्रॉइड आधारित स्मार्टफोन अधिकतर किसानों के पास उपलब्ध एक सामान्य उपकरण है। इसका उपयोग दूरस्थ स्थानों से फसलों और उपकरणों के प्रबंधन और निगरानी के लिए किया जा सकता है।