क्रिप्टो -क्रिश्चियनिटी : बीमारी के मूल का उपचार आवश्यक
देश में लंबे समय से ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन (Crypto Christian)’ पर बहस चल रही है। अनुसूचित जाति से आने वाले ये ऐसे लोग होते हैं जो धर्मांतरण कर ईसाई बन जाते हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ लेने के लिए स्वयं को सरकारी प्रपत्रों व रेकार्ड में हिंदू बताते रहते हैं। अब मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस ओर ध्यान खींचा है। ग्रीक भाषा मे क्रिप्टो (Crypto) शब्द का अर्थ “छुपा हुआ” या गुप्त है यानी “क्रिप्टो-क्रिस्चियन” का अर्थ हुआ “गुप्त-ईसाई”। क्रिप्टो-क्रिस्चियानिटी ईसाई धर्म की एक संस्थागत प्रैक्टिस है। क्रिप्टो-क्रिस्चियनिटी के मूल सिद्धांत के अंर्तगत क्रिस्चियन जिस देश मे रहतें है, वहाँ वे दिखावे के तौर पर तो उस देश के ईश्वर की पूजा करते है, वहाँ का धर्म मानतें हैं जो कि उनका छद्मावरण होता है , पर वास्तव में अंदर से वे ईसाई होते हैं और निरंतर ईसाई धर्म का प्रचार करते रहतें है।क्रिप्टो-क्रिस्चियन, मुसलमानों जैसी हिंसा नहीं करते। जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन 1 प्रतिशत से कम होते है तब वह उस देश के ईश्वर को अपना कर अपना काम करते रहतें है और जब अधिक संख्या में हो जाते हैं तो उन्ही देवी-देवताओं का अपमान करने लगतें हैं।
Hollywood की मशहूर फिल्म Agora (2009), हर हिन्दू को देखनी चाहिए। इसमें दिखाया है कि जब क्रिप्टो-क्रिस्चियन रोम में संख्या में अधिक हुए तब उन्होंने रोमन देवी-देवताओं का अपमान करना शुरू कर दिया। वर्तमान में भारत मे भी क्रिप्टो-क्रिस्चियन ने पकड़ बनानी शुरू की तो यहाँ भी हिन्दू देवी-देवताओं, ब्राह्मणों को गाली देने का काम शुरू कर दिया। मतलब, जो काम यूरोप में 2000 साल पहले हुआ वह भारत मे आज हो रहा है। हाल में प्रोफेसर केदार मंडल द्वारा देवी दुर्गा को वेश्या कहा जो कि दूसरी सदी के रोम की याद दिलाता है।भारत मे ऐसे बहुत से क्रिप्टो -क्रिस्चियन हैं जो सेक्युलरवाद, वामपंथ और बौद्ध धर्म का मुखौटा पहने रहते हैं। भारत मे ईसाई आबादी आधिकारिक रूप से 2 करोड़ है और अचंभे की बात नहीं होगी अगर भारत मे 10 करोड़ ईसाई निकलें। अकेले पंजाब में अनुमानित ईसाई आबादी 10 प्रतिशत से ऊपर है।
बहुत से क्रिप्टो-क्रिस्चियनों ने आरक्षण लेने के लिए हिन्दू नाम रखा हैं। इनमें कई के नाम राम, कृष्ण,शिव,दुर्गाआदि देवी -देवताओं पर होतें है। देश मे ऐसे बहुत से हिन्दुनामधारी क्रिप्टो-क्रिस्चियन हैं जो हिन्दू धर्म पर हमला करके सिर्फ वेटिकन का एजेंडा बढ़ा रहें हैं। हम रोजमर्रा की ज़िंदगी मे हर दिन ऐसे क्रिप्टो-क्रिस्चियनों को देखते हैं पर उन्हें पकड़ नहीं पाते। वर्तमान में देश के प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद हैं जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है। हिंदुओं की पीड़क समस्याएं वामी, कांग्रेस, खालिस्तानी, नक्सली, दलित आंदोलन, JNU इत्यादि है, पर ये सब समस्याएं लक्षण ( symptoms) मात्र हैं जिसका मूल है क्रिप्टो-क्रिस्चियन।जब किसी के लिवर में समस्या होती है तो उसकी त्वचा में खुजली, जी मचलाना और आंखों पीलापन आ जाता है पर ये सब सिर्फ लक्षण ( symptoms) हैं इनकी दवा करने से मूल समस्या हल नहीं होगी। अगर लिवर की समस्या को हल कर लिया तो ये लक्षण ( symptoms) अपने आप गायब हो जाएंगे।इसलिए आवश्यक है कि हम बीमारी के मूल का उपचार करें।