नई दिल्ली : विश्व के सबसे बड़े इस्लामी आबादी वाले इंडोनेशिया ने स्कूलों पर हिजाब को अनिवार्य बनाने से बैन कर दिया है। वहाँ गैर-इस्लामी को हिजाब के लिए विवश किए जाने के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसके बाद ये नियम बनाने पड़े। एक तरफ, कर्नाटक के मुस्लिमों की जिद है कि उनके घर की छात्राएँ बुर्का पहन कर स्कूल-कॉलेजों में जाएँ और शैक्षणिक संस्थान में यूनिफॉर्म के तय नियमों की धज्जियाँ उड़ाएँ। इन सबको इंडोनेशिया से कुछ तो सबक लेना चाहिए ।
इंडोनेशिया के 20 से अधिक प्रांतों में कई स्कूलों ने हिजाब को स्कूली छात्राओं के यूनिफॉर्म के तहत अनिवार्य बना रखा था। ये नियम न सिर्फ छात्राओं, बल्कि महिला शिक्षकों के लिए भी था। इंडोनेशिया में आधिकारिक रूप से 6 धर्मों को मान्यता प्राप्त है, लेकिन वहाँ की 86.7% जनसंख्या इस्लामी है। अब वहाँ के स्कूल किसी मजहबी वस्त्र को यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं बना सकते। पश्चिमी सुमात्रा के एक स्कूल ने गैर-मुस्लिमों को भी हिजाब पहनने को कहा था, जिसके बाद ये विवाद शुरू हुआ था।
इनमें से एक लड़की के माता-पिता ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया, जो पूरे मुल्क तक फ़ैल गया था। फिर फरवरी 2021 में वहाँ की सरकार ने कड़े कदम उठाए। इंडोनेशिया के मजहबी मामलों के मंत्री याक़ूत चोलिल कौमास ने कहा था कि पश्चिमी सुमात्रा का मामला तो बस दिख रहा था, लेकिन ऐसे कई और मामले आए थे। उन्होंने कहा था कि मजहब के नाम पर किसी दूसरे व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन नहीं किया जा सकता। एक ईसाई लड़की को हिजाब पहनने के लिए मजबूर किए जाने के एक वीडियो के बाद वहाँ की सरकार ने इतना बड़ा निर्णय ले लिया था।
16 साल की लड़की का वीडियो वायरल होने के बाद इंडोनेशिया की सरकार ने सभी स्कूलों को एक महीने का समय दिया, हिजाब/बुर्का सम्बंधित नियमों को हटाने के लिए। नियम बनाया गया कि इसे न मानने वाले स्कूलों पर कार्रवाई होगी और जुर्माना लगेगा। मुल्क की सरकार ने माना कि ये व्यक्तिगत अधिकार है और स्कूल इस बारे में फैसला नहीं ले सकते।