Opinion

मानचित्र व प्रतीकों से छेड़छाड़

भारतीय उप – महाद्वीप में कुढ़ाने -चिढ़ाने का यह खेल चलता रहेगा   


भारत के मानचित्र के साथ छेड़छाड़ की घटनाएँ पिछले सात वर्षों में लगातार बढ़ी हैं ।हाल ही में भारतीय संसद को इस विषय पर चर्चा करनी पडी। पहले पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश ,म्यांमार और नेपाल यह काम करते थे।अब गूगल,अमेजॉन,ट्वीटर,इंस्टाग्राम,वर्ल्ड प्रेस डॉट कॉम, विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे संस्थानों ने भी ‘भारत के गलत मानचित्र का प्रकाशन एवं प्रसारण’ का आपराधिक कार्य शुरू किया है। इस पर रोक लगाने में भारत सरकार के “भू स्थानिक सूचना विधेयक  २०१६” और ‘सुरक्षा जांच प्राधिकरण’ जैसे अस्त्र भी प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं।


तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन इसको गंभीर अंतर्राष्ट्रीय विषय बताते हैं। पूर्व रक्षा मंत्री ए के अंटोनी ने कहा कि यह बहुत गंभीर बात है और केंद्र सरकार को इसे हलके में नहीं लेना चाहिए। लेफ्टिनेंट जनरल और राज्यसभा सांसद डॉक्टर डी पी वत्स कहते हैं ‘आज कोई देश आसानी से दूसरे की भूमि का अतिक्रमण बिलकुल नहीं कर सकता इसलिए बहुत पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है , भारत के पूर्व विदेश सचिव श्री मुचकुन्द दुबे कहते हैं इन बचकानी बातों पर संसद को समय नहीं गंवाना चाहिए, ।गृह मंत्रालय में निदेशक रहे शशिकांत सिंह चाहते हैं कि भारत सरकार में अपेक्षाकृत छोटे विभागों के मंत्री समय -समय पर ‘क्लेशी पड़ौसी’ की नींदें उड़नेवाली घोषणाएं भी करते रहें तो चिढ़ने -चिढ़ाने का खेल समाप्त हो जायेगा। अंतर्राष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय उप-महाद्वीप में कुढ़ाने -चिढ़ाने का यह खेल अभी लम्बे समय तक चलेगा, पर होना -जाना कुछ नहीं है।जिसके अधिकार में जितनी भूमि है वह उसके पास बनी रहेगी। 

 मूल पाठ 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के कोविड डैशबोर्ड पर भारत का गलत नक्शा दिखाये जाने का मामला पिछले दिनों संसद में उठा। ये मामला तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने दिनांक ३० जनवरी २०२२ को प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उठाया।  उन्होंने  मोदी को भेजे  पत्र में कहा कि ‘जब मैंने WHO Covid19.int की साइट पर क्लिक किया, तो दुनिया का नक्शा मेरे सामने आया। जब मैंने उसे भारत के हिस्से को लेकर जूम किया तो एक नीला नक्शा मेरे सामने आया और जम्मू-कश्मीर के लिए दो अलग-अलग रंग दिखाई पड़े’,जब उन्होंने नीले हिस्से पर क्लिक किया, तो नक्शा उन्हें भारत का डेटा दिखा रहा था, लेकिन दूसरा हिस्सा पाकिस्तान का कोविड-19 डेटा दिखा रहा था। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश राज्य के एक हिस्से का अलग से सीमांकन किया गया था। इसे एक गंभीर अंतरराष्ट्रीय मामला बताते हुए उन्होंने भारत सरकार से कार्रवाई की मांग की ।इस पर विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा कि  हमने इस मुद्दे को विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने उठाकर अपनी आपत्ति जतायी थी और  जवाब में WHO ने जिनेवा स्थित भारत के स्थायी मिशन को बताया कि उन्होंने पोर्टल पर एक डिस्क्लेमर डाल दिया है। 


विदेश राज्य मंत्री के उत्तर पर टिप्पणी करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने कहा कि भारत सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए थी और इस मुद्दे को बहुत पहले ही उठाना चाहिए था।उनका समर्थन करते हुए पूर्व रक्षा मंत्री ए के अंटोनी ने कहा कि यह बहुत गंभीर बात है और केंद्र सरकार को इसे हलके में नहीं लेना चाहिए। जबकि रक्षा मंत्रालय के पूर्व निदेशक शशिकांत सिंह कहते हैं कि “कांग्रेसी सरकारों विशेषकर नेहरू की गलतियों के कारण यह हलके में लिए जाने का विषय ही बन चुका है। अब होना -जाना कुछ नहीं है।जिसके अधिकार में जितनी भूमि है वह उस देश के पास बनी रहेगी। आज सिर्फ इतना ही हो सकता है कि जो हमें चिढ़ाने की कोशिश करता है उसको भी कुढ़ाया जाए।“ यह पूछे जाने पर कि जब कांग्रेस की सरकारें थीं तब भी ऐसी घटनाएं हुईं तो क्या उनकी पार्टी की सरकारों ने कोई ठोस उपाय किये थे कि कोई देश या संस्था उसकी पुनरावृति न कर सके ? अगर हाँ तो फिर ऐसी घटनाएं क्यों हो रही हैं , पूर्व रक्षा मंत्री ए के अंटोनी ने फोन पर इस विषय में विस्तृत बात करने में असमर्थता व्यक्त की।


 पूर्व विदेश सचिव ,अमेरिका में भारतीय राजदूत तथा संयुक्त राष्ट्रसंघ में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके मुचकुन्द दुबे ने बताया कि  ‘गूगल , ट्वीटर , इंस्टाग्राम और ऐसी अन्य बकवास संस्थाएं कोई प्रामाणिक और राजनयिक महत्त्व की नहीं हैं कि उसके द्वारा भारत के मानचित्र के साथ की गयी छेड़छाड़ पर वे कोई टिप्पणी करें  या हमारी संसद में उसपर बहस हो।’इतना ही नहीं चीन तथा पकिस्तान द्वारा भी अगर हमारे देश के मानचित्र का कोई हिस्सा अपने देश में दिखाया जाता है तो वह क्षेत्र भारत से कटकर अलग नहीं हो जाएगा। यह बचकानी बातें हैं जिनसे न तो भारत सरकार  चिढ़ती है न ही चिंतित होती है।’ वे प्रश्न करते हैं ‘ यह विवाद अंडर-सेक्रेटरी स्तर का अधिकारी ही मिनटों में निपटा सकता है तो विभागीय सचिव या मंत्री जैसे शीर्षस्थ लोगों को वक्तव्य क्यों देना चाहिए ? ‘


प्रत्येक व्यक्ति, हर व्यवसाय जो कार्य करने के लिए GPS आधारित तकनीकी का प्रयोग करता है, प्रभावित होगा. इसमें मुख्य रूप से गूगल के अलावा ओला, ऊबर, जोमातो, एयरबीएनबी (AirBnB) और ओयो (Oyo) जैसे अन्य ऐप्स आधारित बिज़नेस शामिल हैं. इसमें फेसबुक और ट्विटर को भी शामिल किया गया है क्योंकि ये भी लोगों का लोकेशन ट्रेस करते हैं.

यदि कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो क्या सजा होगी ?


1. भारत की भू-स्थानिक सूचना को अवैध तरीके से रखने पर 1 करोड़ रुपये से 100 करोड़ जुर्माना या 7 साल तक की अवधि के लिए कारावास या दोनों हो सकते हैं.
2. जो भी व्यक्ति/संस्था/संगठन भारत की भू-स्थानिक सूचनाओं को गलत तरीके से फैलाने, प्रकाशित या वितरित करता है, उसे दण्ड के तौर पर 10 लाख से रुपये 100 करोड़ रुपये  जुर्माना या 7 साल की सजा या दोनों दिया जा सकता है.
3. भारत के बाहर भारत की भू-स्थानिक सूचना का प्रयोग करने पर 1 करोड़ रुपये से लेकर 100 करोड़ तक का आर्थिक दण्ड या 7 वर्ष की सजा या दोनों का प्रावधान है.

इस प्रकार  सरकार इस बिल के माध्यम से यह सन्देश देना चाहती है कि देश की सीमा सुरक्षा और संप्रभुत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नही किया जा सकता है. यदि कोई व्यक्ति/संस्था/संगठन  जानबूझकर या अनजाने में भारत के नक़्शे के साथ छेड़छाड़ करता है तो वह दण्ड का भागी होगा। भारत के मानचित्र के साथ छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं से देश का सामान्य नागरिक चिंतित है और उसकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार तथा मंत्री उसके विरुद्ध वक्तव्य देते हैं किन्तु वरिष्ठ नौकरशाह इसको ‘बचकानी’ हरकत कहते हैं। पूर्व विदेश सचिव मुचकुन्द दुबे इसपर एक सेकेण्ड भी गंवाना नहीं चाहते तो गृह मंत्रालय में निदेशक रहे शशिकांत सिंह चाहते हैं कि भारत सरकार में अपेक्षाकृत छोटे विभागों के मंत्री समय -समय पर ‘क्लेशी पड़ौसी’ की नींदें उड़नेवाली घोषणाएं भी करते रहें तो चिढ़ने -चिढ़ाने का खेल समाप्त हो जायेगा।  

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