रामसेतु को मिलेगा राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा, 9 मार्च को होगी सुनवाई
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग संबंधी एक याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने की अर्जी को स्वीकार कर लिया है । शीर्ष अदालत इस मामले में 9 मार्च को सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश (CJI) एन. वी रमना, जस्टिस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा किए गए निवेदन के बाद ये निर्देश जारी किया।
सुब्रमण्यम स्वामी ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश होकर कहा कि इस मामले को हटाया न जाए और इस पर त्वरित सुनवाई हो। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद 9 मार्च को इसे लिस्ट किए जाने की तारीख़ मुकर्रर की और कहा कि इस पर आगे बढ़ना है या नहीं, इसे उसी दिन तय किया जाएगा।
जान लें कि इससे पूर्व स्वामी ने 2020 में रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने की याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी । उस समय कोर्ट ने बाद में विचार करने की बात कही थी । खबरों के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने उस समय भी केंद्र सरकार को इस मामले पर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था । बता दें कि सुब्रमण्यम स्वामी ने 2018 में याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर करते हुए रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग की थी ।
सुब्रमण्यम स्वामी ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने इस मामले में काउंटर-एफिडेविट दायर की है और ये मामला काफी लंबे समय से पेंडिंग है और तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। पीठ ने इस मुद्दे पर भारत सरकार के रुख के बारे में भी पूछा। स्वामी ने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर एक हलफनामा दायर किया है। स्वामी ने अपनी याचिका में अदालत से आदेश पारित करने और राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के साथ भारत संघ को राम सेतु को भारत का प्राचीन स्मारक घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया। साथ ही उन्होंने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को राम सेतु के संबंध में एक विस्तृत सर्वेक्षण करने के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया है।
स्वामी ने कहा कि वह पहले ही मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं जिसमें केंद्र ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने सेतु को राष्ट्रीय विरासत घोषित करने की उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।
गौरतलब है कि मोदी सरकार राम सेतु मामले पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजना और राम सेतु के बारे में कहा था कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए प्रस्तावित सेतु समुद्रम परियोजना के लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक मार्ग तलाशेगी।
महाकाव्य रामायण सहित कई प्राचीन भारतीय शास्त्रों और लाखों हिंदुओं की मान्यता के अनुसार, रामसेतु का निर्माण भगवान राम की वानर सेना ने किया था, ताकि लंका पर चढ़ाई की जा सके और माता सीता को रावण की कैद से छुड़ाया जा सके । कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र की संप्रग-एक सरकार के कार्यकाल में ‘सेतु समुद्रम’ परियोजना के खिलाफ दायर याचिका के बाद ‘रामसेतु’ का मुद्दा जोर-शोर से उठाया गया। वर्ष 2007 में इस परियोजना पर रोक लगा दी गई थी।