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देश में पहली बार MBBS छात्रों ने ली ‘महर्षि चरक शपथ’ : बौखलाई TN सरकार ने मदुरै कॉलेज के डीन को हटाया

तमिलनाडु के राजकीय मदुरै मेडिकल कॉलेज (Madurai Medical College) के एमबीबीएस (MBBS) प्रथम वर्ष के छात्रों ने शनिवार (30 अप्रैल 2022) को दीक्षा सत्रारंभ समारोह यानी इंडक्शन ओरिएंटेशन सेरेमनी (Induction Ceremony) के दौरान हिप्पोक्रेटिक शपथ की जगह ‘महर्षि चरक शपथ‘ ली। ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब मेडिकल छात्रों ने हिप्पोक्रेटिक की बजाय महर्षि चरक शपथ ली हो। इस बदलाव को लेकर तमिलनाडु की एम के स्टालिन सरकार ने अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी जाहिर की है। बताया जा रहा है कि जब छात्र दीक्षा सत्रारंभ समारोह में ‘महर्षि चरक शपथ’ ले रहे थे, उस वक्त तमिलनाडु के वित्त मंत्री पीटीआर पलानीवेल थियागा राजन और राजस्व मंत्री पी मूर्ति भी मौजूद थे।

‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाने के मामले में राज्य सरकार ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कॉलेज के डीन डॉ ए रथिनवेल (Dr A Rathinavel) को उनके पद से हटा दिया है। तमिलनाडु सरकार ने डीन का ट्रांसफर करते हुए उन्हें वेटिंग लिस्ट में डाल दिया है। एक प्रेस नोट में तमिलनाडु सरकार ने कहा, “सभी मेडिकल कॉलेज लंबे समय से मेडिकल छात्रों को हिप्पोक्रेटिक ओथ दिला रहे हैं। ऐसे में हिप्पोक्रेटिक ओथ के स्थान पर महर्षि चरक शपथ कराना निंदनीय है। कॉलेज के डीन को उनके पद से हटा दिया गया है!

हाल ही में चिकित्सा शिक्षा नियामक राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रमों में और देश में इसकी पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए ‘हिप्पोक्रेटिक ओथ’ की जगह ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाने की सिफारिश की गई थी। नए दिशा निर्देशों के अनुसार, “किसी अभ्यर्थी के चिकित्सा शिक्षा में दाखिला लेने पर संशोधित ‘महर्षि चरक शपथ’ दिलाए जाने की सिफारिश की जाती है।” बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी संसद में कहा था कि ‘महर्षि चरक शपथ’ वैकल्पिक होगी और मेडिकल के छात्र इस शपथ को लेने के लिए बाध्य नहीं होंगे।

हिप्पोक्रेटिक ओथ और महर्षि चरक शपथ में अंतर:

अभी के समय में जो शपथ की पद्धति है वो हिप्पोक्रेटिक यानि कि ग्रीक दार्शनिक और चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स के नाम पर ली जाती है। उन्हें फादर ऑफ मेडिसिन भी कहा जाता है। इस शपथ को व्हाइट कोट सेरेमनी के दौरान लिया जाता है। सालों से दुनिया भर के डॉक्टर यही शपथ लेते रहे हैं। अब जिस शपथ की सिफारिश की गई है, वो महर्षि चरक के नाम पर है। महर्षि चरक भारतीय थे और आयुर्वेद के जनक माने जाते हैं। उन्होंने ही यह शपथ लिखी थी, जो आयुर्वेद का संस्कृत पाठ है। दोनों शपथ का मतलब लगभग एक जैसा ही है, लेकिन भाषा और उसके रचियता अलग-अलग हैं।

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