वीरता का प्रतीक-आजाद हिंद फौज !
सेकेंड वर्ल्ड वॉर की शुरुआत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस सोवियत संघ, जर्मनी और जापान सहित कई देशों की यात्रा पर गए थे. उनका मकसद आपसी गठबंधन को मजबूत करना और भारत में ब्रिटिश सरकार के राज पर हमला करना था.
साल 1942 में भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिये आजाद हिंद फौज या इंडियन नेशनल आर्मी (INA) नाम से एक सशस्त्र सेना का गठन किया गया. इसकी स्थापना भारत के क्रांतिकारी नेता रासबिहारी बोस ने जापान के टोक्यो में की थी.
ऐसा कहा जाता है कि आजाद हिंद फौज के बनने में जापान ने बहुत सहयोग किया था. इसमें करीब 85000 सैनिक शामिल थे. एक महिला यूनिट भी थी जिसकी कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन थी.
पहले इस फौज में वही शामिल थे, जिन्हें जापान ने बंदी बनाया था, बाद में बर्मा और मलाया के भारतीय स्वयंसेवक भी जुड़े.
आजाद हिंद फौज ने 1944 को 19 मार्च के दिन पहली बार झंडा फहराया था. राष्ट्रीय ध्वज फहराने वालों में कर्नल शौकत मलिक, कुछ मणिपुरी और आजाद हिंद फौज के लोग शामिल थे.
अक्टूबर 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार भी बनाई. इसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी.