गैस-कनेक्शन दिलाने के बहाने अजमेर दरगाह के चिश्तियों ने किया बारहवीं की छात्रा का बलात्कार
( अजमेरशरीफ के बदमाश चिश्ती भाग २ )
गीता का सोचना था कि रास्ते में इस बदलाव का उद्देश्य कांग्रेस में उसके शामिल किये जाने पर चर्चा करना था, लेकिन जिस क्षण वह नफीस के साथ अकेली हुई उसी पल उसने उस पर झपट्टा मारा और जैसा वह कह रहा था वैसा न करने पर उसे जान से मारने की धमकी देते हुए उसका यौन उत्पीड़न किया। बलात्कारी आमतौर पर बलात्कार की तस्वीरें भी लेते थे क्योंकि शर्म और ब्लैकमेल इन पीड़िताओं की चुप्पी बरक़रार रखने की सबसे विश्वसनीय गारंटी थी.
राजेश झा
अजमेर काण्ड का उद्भेदन करनेवाले पत्रकार संतोष कुमार के अनुसार अजमेर का हर क्राइम रिपोर्टर “फारुख -नफीस चिश्ती और उसके गिरोह” का सावधानी से पीछा करता था क्योंकि बड़ी अपराध कहानियां भी ज्यादा शक्ति के साथ जुड़ी होती हैं। ’ग्रूमिंग, गैंगरेप, ब्लैकमेल चाहे यह कोई ‘अपराध की बड़ी सी कहानी’ हो या न हो, परन्तु अदालत के दस्तावेज और इस मामले से जुड़े लोगों के वक्तव्य अजमेर के एक बंगले, एक फार्महाउस और एक पोल्ट्री फार्म के बंद दरवाजों के पीछे 1990 के दशक की शुरुआत में घटित हुई प्रलोभन, यौन शोषण और ब्लैकमेल की एक घिनौनी तस्वीर पेश करते हैं।
आज अजमेर झील के नज़ारों वाले रेस्तरां, सस्ते होटल और बाज़ारों से भरा हुआ है, लेकिन 1990 के दशक की शुरुआत में, सोफिया स्कूल और सावित्री स्कूल के युवा छात्रों के लिए इस पवित्र माने जाने शहर में केवल दो रेस्तरां थे- एलीट और हनी ड्यू। उस समय, ये हैंगआउट स्पॉट (युवाओं के मिलने-जुलने के स्थान) अभी भी काफी नए-नवेले थे। ये दोनों अजमेर रेलवे स्टेशन के पास स्थित थे, जो नई ट्रेनों के नेटवर्क की बदौलत देश के बाकी हिस्सों से पहले से बेहतर तरीके से जुड़ा हुआ था और वह समय भारत में आर्थिक उछाल और नई आशा की मादकता वाले मनमोहन सिंह युग की शुरुआत वाला था। नव धनिक लोग अपनी कारों, डिश टीवी कनेक्शन के साथ-साथ अपने पास पहले से पैसे होने के निशानों, जैसे रॉयल एनफील्ड, येज़दी और जावा बाइक, को प्रदर्शित कर सकते थे। और प्रभावशाली खादिमों { उस समय के अजमेर शरीफ दरगाह के केयरटेकर्स (देखरेख करने वाले) का विस्तारित परिवार} – के पास यह सब था।
इस परिवार के युवा सदस्य स्थानीय हस्तियों की तरह थे। वे अपनी खुली जीप, एम्बेसडर और फिएट कारों में खुलेआम घूमते रहते थे. वे शहर के एकमात्र जिम में जाते थे और खुद के स्टाइल को संजय दत्त (जिनके प्रति भारत के छोटे शहरों में लंबे बालों और गले में लटकी जंजीरों के साथ काफी सारा क्रेज था) के हिसाब से संवार कर रखते थे। इस स्वैगर के साथ ही इन लोगों के पास पैसा, सामाजिक प्रभाव और राजनीतिक शक्ति सब कुछ थी.अजमेर कांड के मुख्य अपराधी फारूक और नफीस दोनों अजमेर में युवा कांग्रेस के शीर्ष नेता थे और माना जाता था कि उनके मित्र उच्च पदों पर आसीन हैं।’ दैनिक नवज्योति ‘ के साथ क्राइम रिपोर्टर रहे संतोष गुप्ता नेयाद करते हैं -” मुझे एक घटना याद है फारुख और नफीस दोनों अपनी जीप पर बैठ एलीट रेस्त्रां गए थे जहां कुछ स्कूली छात्राएं भी बैठी थीं। उनमें से एक ने (रेस्तरां) के मैनेजर प्रबंधक को बुलाया और उसे सभी को आइसक्रीम बांटने के लिए कहा क्योंकि उस दिन उनके एक दोस्त का जन्मदिन था , यह फिल्मी लग सकता है, लेकिन उन दिनों यह किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता था।
ये लोग कांग्रेस से जुड़े थे तो उस वर्ष किसी समय, सावित्री स्कूल की कक्षा 12 की छात्रा ‘गीता’* नामक एक महत्वाकांक्षी युवा लड़की ने फैसला किया कि वह कांग्रेस पार्टी में शामिल होना चाहती है। उसे लगा कि किस्मत उसके साथ थी क्योंकि अजय* नामक एक परिचित ने उसे बताया कि वह उन ‘लोगों’ को जानता है जिनसे उसे बात करनी चाहिए: वे लोग थे नफीस और फारूक चिश्ती।अभियोजन पक्ष के वकील वीरेंद्र सिंह राठौड़ बताते हैं , ‘उन दिनों गैस का कनेक्शन बहुत बड़ी बात हुआ करती थी। गीता गैस कनेक्शन पाने और कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा के बारे में अजय कोबताती रहती थी, और उसने इसका फायदा उठाया। उसने नफीस और फारूक चिश्ती से यह कहते हुए गीता को मिलवाया कि वे भले लोग हैं।’
इस मामले में 2003 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में गीता की गवाही का विवरण दिया गया था कि कैसे उसे ‘ग्रूम’ (अच्छी तरह से संवारा) किया गया, फिर उसका यौन उत्पीड़न किया गया, और फिर ‘फारुख -नफीस चिश्ती’ द्वारा अपने तथा अपने दोस्तों के लिए’ और अधिक युवा महिलाओं को लाने के लिए उसे ब्लैकमेल किया गया। गीता के अनुसार, जब वह अजय के साथ थी तब भी नफीस और फारूक उससे कई बार मिले थे। एक बार जब वह बस स्टैंड पर थी तो वे अपनी मारुति वैन में सवार हो उसके पास आये थे। उन्होंने उसे आश्वासन दिया कि वे उसे कांग्रेस में एक ‘असाइनमेंट’ के साथ जगह दिला देंगे। बाद में, उनके ही एक सहयोगी सैयद अनवर चिश्ती ने उसे एक फॉर्म भरने के लिए दिया और कहा कि इसके साथ उसे एक पासपोर्ट आकार की फोटो जमा करने की जरूरत होगी। सब कुछ एकदम से वैधानिक लग रहा था, इसलिए एक दिन गीता के स्कूल जाने की राह में जब नफीस और फारूक ने उसका रास्ता रोक अपनी वैन में उसे लिफ्ट देने की पेशकश की, तो उसे कोई खास चिंता नहीं हुई। उसने उनकी पेशकश स्वीकार कर ली, लेकिन उसे स्कूल ले जाने के बजाय, वे दोनों उसे एक फार्महाउस में ले आए .
अपनी गवाही में, गीता ने कहा कि उसका सोचना था कि रास्ते में इस बदलाव का उद्देश्य कांग्रेस में उसके शामिल किये जाने पर चर्चा करना था, लेकिन जिस क्षण वह नफीस के साथ अकेली हुई उसी पल उसने उस पर झपट्टा मारा और जैसा वह कह रहा था वैसा न करने पर उसे जान से मारने की धमकी देते हुए उसका यौन उत्पीड़न किया। गीता ने अपनी गवाही में बताया कि कुछ दिनों बाद उसने उसे फिर से प्रताड़ित किया और यह बात दोहराई कि अगर उसने किसी को इस यौन हमले के बारे में बताया तो उसे इसके लिए पछताना होगा।