गरीब हैं तो भी कानून मानना होगा
रेलवे की जमीन पर झोपड़ी बनाने वालों के वकील की दलील पर बोले जज
सुप्रीम कोर्ट गुजरात में एक रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण के मामले में सुनवाई करते हुए कहा, जब संविधान कानून के शासन को मान्यता देता है, तो इसका पालन सभी को करना होता है चाहे वो अमीर हो या गरीब।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, “जो कुछ भी किया गया है वह पहले से ही इन सभी व्यक्तियों के लिए दिखाया गया एक रियायत है। वे रेलवे की संपत्ति पर अतिक्रमण से कब्जा करने वाले थे।” इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि ये लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं। इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा, “जब संविधान कानून के शासन को मान्यता देता है, तो इसका पालन सभी को करना होता है। गरीबी रेखा से नीचे कानून के शासन का पालन नहीं करने का अपवाद नहीं है।”
कई लोग ऐसे हैं जो गरीबी रेखा से नीचे हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता प्राधिकरण से संपर्क कर सकता है और अगर उनके पास योजना के तहत समय बढ़ाने का अधिकार है तो वे इस पर विचार करेंगे।
सूरत नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि अभी तक जिन पात्र लोगों ने ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत आवास के आवंटन के लिए 2,450 फार्म भेजे गए थे जिनमें से 1,901 लोगों को आवास की मंजूरी मिली है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत आवंटी को छह लाख रुपये प्रति फ्लैट देने होंगे।
संबंधित अथॉरिटी से बात करें याचिककर्ता सुप्रीम कोर्ट,
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे व्यक्ति संबंधित अथॉरिटी से अनुरोध कर सकते हैं जो इसे उचित और कानून के अनुसार समझेगा। इसमें कहा गया है कि जिन आवेदकों के दावों को अधिकारियों ने खारिज कर दिया है,वे फैसले को चुनौती देने के लिए उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र हैं।