पाकिस्तान से लगे जिलों में ईसाइयत के विस्तार से देश की सुरक्षा पर गंभीर संकट
पंजाब के सीमावर्ती इलाके अमृतसर, गुरदासपुर और फिरोजपुर जिलों में रहने वाले हिन्दू कई वाल्मीकि और सिख पंथ के लोगों ने ईसाई रिलिजन अपना लिया है। पंजाब के 12,000 गाँवों में से 8,000 गाँवों में ईसाई की मजहबी समितियाँ हैं। वहीं अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में 4 ईसाई रिलीजनों के 600-700 चर्च हैं। इनमें से 60-70% चर्च पिछले 5 सालों में अस्तित्व में आए हैं। पंजाब में ईसाई मत को पगड़ी से लेकर टप्पे तक कई सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ अपनाया जा रहा है। यूट्यूब पर ईसाई गिद्दा (एक लोक नृत्य), टप्पे (संगीत का एक रूप) और बोलियां (दोहे गाना), और पंजाबी में यीशु की प्रार्थना वाले गीतों की भरमार हो गयी है। उसके विजुअल में ग्रामीण पंजाबी सेटअप में तमाम पुरुष और महिलाएं इन्हें गाते हुए दिखते हैं। पंजाब में ईसाई मतांतरण एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है।कांग्रेस के गुरदासपुर जिले के अध्यक्ष रोशन मसीह कहते हैं, ‘एक बार जब कोई दलित ईसाई बनता है, तो उसे आरक्षण का लाभ मिलना बंद हो जाता है और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। इसलिए, लोग अपनी पहचान छिपाने की कोशिश करते हैं।
सिख पंथ बदल लेने के बाद भी कुछ लोग अपनी पगड़ी नहीं छोड़ते हैं और नाम के मामले में भी स्थिति कुछ ऐसी ही है।राज्य में अधिकांश ईसाइयों की तरफ से चर्च के प्रति अपनी निष्ठा जताने के लिए उपनाम ‘मसीह’ का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन कई लोगों ने अपने पिछले नाम नहीं बदले हैं। उनके नाम न बदलने का एक बड़ा कारण है,दलितों को मिलने वाला आरक्षण का लाभ उठाना, जो कि कन्वर्जन की स्थिति में उन्हें नहीं मिल सकता। यही वजह है कि जनगणना में पंजाब की ईसाई आबादी का अधिकांश हिस्सा आंकड़ों से बाहर ही रहता है। पंजाब में ईसाई संगठनों की मौजूदा मांग है कि सरकारी नौकरियों में 2 प्रतिशत आरक्षण मिले और राज्य अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की जाए। अजनाला विधानसभा क्षेत्र में 10,000 की आबादी में विभिन्न संप्रदायों वाले चार चर्च हैं, रोमन कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट संप्रदाय, जिनमें पेंटेकोस्टल और साल्वेशन आर्मी शामिल हैं।
सेंट फ्रांसिस कॉन्वेंट स्कूल, फतेहगढ़ चुरियन संगठन बच्चों को मुफ्त या रियायती शिक्षा प्रदान करने पर हर साल 90 लाख रुपये खर्च करता है। स्कूल के 3,500 छात्रों में से करीब 400 किसी भी तरह का कोई भुगतान नहीं करते। कर्मचारियों का कहना है कि फतेहगढ़ चुरियन के 20 किलोमीटर के दायरे में पांच-छह गांवों के छात्रों को बसें मुफ्त में स्कूल पहुंचाती हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन कहते हैं कि जबर्दस्ती कन्वर्जन के खिलाफ अलग-अलग राज्यों ने कानून बना रखे हैं। कार्रवाई उसी के आधार पर होती है या हो सकती है। अब कन्वर्जन का कोई कानूनी आधार ही नहीं है, तो इसका कोई डेटा भी नहीं मिलता। पंजाब में बड़ी संख्या में सिख और हिंदू अपने-अपने धर्मों में बड़े होने के बावजूद ईसाई रिलिजन में कन्वर्जन करने के बाद भी अपने मूल धार्मिक त्योहारों का पालन करना जारी रखते हैं और इसे अपनाने के बावजूद अपने जन्म के विश्वास की परंपराओं का पालन करते हैं।
पहले ज़्यादातर पंजाब के सीमावर्ती इलाकों से मिशनरियों द्वारा सिख युवकों को बहला-फुसलाकर या लालच देकर उनका मत बदलवाने की कोशिश की जा रही थी वहीं अब इनके निशाने पर पंजाब के समृद्ध इलाके भी हैं। सिखों को क्रिश्चियन बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। ईसायत में कन्वर्जन का यह अभियान खासकर पंजाब के उन इलाकों में चलाया जा रहा है जो पाकिस्तान बॉर्डर से जुड़े हुए हैं। बटाला, गुरदासपुर, जालंधर, लुधियाना, फतेहगढ़ चूड़ियाँ, डेरा बाबा नानक, मजीठा, अजनाला और अमृतसर के ग्रामीण इलाकों से ऐसी खबरें आई हैं। DSGMC की ‘धर्म प्रचार कमेटी’ के चेयरमैन मनजीत सिंह भोमा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मतांतरण पर प्रतिबंध की अपील करते हुए मांग की है कि जिस तरह से हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में मतांतरण पर पाबंदी है, ठीक उसी तरह पंजाब में भी पाबंदी लगाई जाए।झारखंड के सात जिलों को बांग्लादेश में मिलाने की ‘आई एस आई एस’ और ‘पी एफ आई’ की साजिश पता चला है वहीं बिहार के चार सीमा क्षेत्रों में मुस्लिमों के बदमाशियों पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है।ऐसे में पंजाब के सीमावर्ती जिलों में छद्म ईसाइयत के फैलाव से देश की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं।
पंजाब में ईसाई मत को मानने वाले बढ़ रहे हैं, कुछ उसी तरह जो स्थिति तमिलनाडु जैसे राज्यों में 1980 और 1990 के दशक में हुआ करती थी।गुरदासपुर के कई गांवों की छतों पर छोटे-छोटे चर्च बन रहे हैं।पंजाब के सीमावर्ती इलाके में रहने वाले सिखों ,वाल्मीकि तथा वंचितों समुदाय ने ईसाई मत को अपनाना शुरू कर दिया है।यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष कमल बख्शी हैं ,जिस समूह की पंजाब के 12,000 गांवों में से 8,000 गांवों में समितियां हैं।उनके अनुसार , अमृतसर और गुरदासपुर जिलों में चार ईसाई समुदायों के 600-700 चर्च हैं, इनमें से 60-70 फीसदी पिछले पांच सालों में अस्तित्व में आए हैं। लोगों के ईसाई रिलिजन में कन्वर्जन से पंजाब और कई अन्य राज्यों में गुरुद्वारों के प्रबंधन संभालने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति में बहुत नाराजगी हैऔर उसने कन्वर्जन को ‘रोकने’ की पहल शुरू की है। ‘घर घर अंदर धर्मसाल ’ अभियान एक ऐसा ही प्रयास है, जहां स्वयंसेवक घर-घर जाकर सिख पंथ का प्रचार-प्रसार करते हैं।हाल ही में सिखों की सर्वोच्च धार्मिक इकाई अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरोप लगाया था कि ईसाई सीमावर्ती गांवों में सिखों को जबरन और प्रलोभन देकर उनका कन्वर्जन करा रहे हैं। गुरदासपुर जिले में ईसाई वोट शेयर 17 से 20 प्रतिशत तक आंका गया है और 2019 के लोकसभा चुनावों में गुरदासपुर निर्वाचन क्षेत्र में आम आदमी पार्टी (आप) के ईसाई उम्मीदवार पीटर मसीह को हार का सामना करना पड़ा था।
आप नेता और क्रिश्चियन समाज फ्रंट के पंजाब में एक लाख सदस्य हैं। इसके अध्यक्ष सोनू जाफर कहते हैं, ‘अगर किसी ईसाई को कभी टिकट मिलता भी है, तो वह केवल गुरदासपुर में ही मिलता है।वहां लगभग 43,000 ईसाई मतदाता हैं.’यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति ईसाई मत अपना भी लेता है, तो भी आधिकारिक दस्तावेजों में अपना नाम नहीं बदलता है ताकि उसे आरक्षण का लाभ मिल सके। इस वजह से भी ईसाई आबादी सरकारी रेकॉर्ड में बहुत कम है। गुरदासपुर में कम से कम 23 प्रतिशत मतदाता ईसाई बताये जाते हैं और अमृतसर में भी आंकड़े इसी तरह के हैं। कई ईसाई खुद को उपेक्षित महसूस करते हैं क्योंकि आरक्षण के लाभों के हकदार नहीं होते हैं, भले ही उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजहबी और वाल्मीकि के समान ही है। बख्शी के अनुसार, पंजाब में 95 प्रतिशत ईसाई धर्मांतरित हैं और इसमें से अधिकांश वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं।
ईसाई मिशनरियों और स्वतंत्र चर्च गरीब सिखों और हिंदुओं को चमत्कारी उपचार, नौकरी, वित्तीय सहायता आदि सहित विभिन्न प्रलोभन देकर कन्वर्जन कराते हैं।पंजाब में इस समय ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ की सरकार है और DSGMC की ‘धर्म प्रचार कमेटी’ के चेयरमैन मनजीत सिंह भोमा ने मुख्यमंत्री भगवंत मान से मतांतरण पर प्रतिबंध की अपील की है । उन्होंने कहा कि जिस तरह से हिमाचल प्रदेश सहित कई राज्यों में मतांतरण पर पाबंदी है, ठीक उसी तरह पंजाब में भी पाबंदी लगाई जाए। वहीं उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की विफलता को भी इसका जिम्मेदार बताया।देश में आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर खतरे मंडरा रहे हैं। झारखंड के सात जिलों को बांग्लादेश में मिलाने की आई एस आई एस और पी एफ आई की साजिश पता चला है वहीं बिहार के चार सीमा क्षेत्रों में मुस्लिमों के बदमाशियों पर कोई लगाम नहीं लगाई जा रही है। पंजाब के सीमावर्ती जिलों में सिखों को कन्वर्जन द्वारा ईसाई बनाने की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की धर्म जागरण समन्वय समिति के सह प्रमुख राजेंद्र जी ने बताया कि वीर सावरकर ने कन्वर्जन को राष्ट्रांतरण कहा था।गांधी भी इसके विरुद्ध थे। सबसे पहले कांग्रेस ने 1956 में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाया. अब तक 10 राज्यों में इस तरह के कानून लागू हैं, लेकिन उनका पालन ठीक से नहीं हो रहा है।
सन्दर्भ
https://www.inextlive.com/in-punjab-sangh-brings-christians-back-to-sikhism-201412310039