बंगलादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिल्ली आकर यह सुझाव दिया है कि 11 लाख रोहंगिया मुसलमानों को भारत वर्ष नागरिकता दे क्योंकि वह समर्थ देश है तथा इसकी 140 करोड़ की आबादी में वे समा जाएंगे है। उनका यह बयान तब आया है जब बोधगया -पुणे -लखनऊ – बंगलुरु में हुए बमविस्फोट तथा असम में हुए दंगों में रोहंगिया मुसलमानों की संलिप्तता के कारण भारत सरकार ने यहाँ अवैध रूप से रह रहे 10000 रोहंगिया मुसलामानों की पहचान करके उनको देश से निकालने की कार्यवाही शुरू की है।यह बयान देते हुए अपनी ही सरकार द्वारा रोहंगियों को बांग्लादेश नहीं घुसने देने के लिए समुद्री क्षेत्र में बांग्लादेशी नौसैनिकों को मुश्तैद कर दिया था.
(देखें https://www.bbc.com/hindi/international-54763851))।बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना चाहती हैं कि उनका देश सुरक्षित रहे और गद्दार रोहंगियाओं द्वारा भारत में बर्वादी की नित्य नई कहानियां लिखी जाती रहें।
वर्ष 1785 के रोहंगिया -बौद्ध दंगे तथा वर्ष 1824 -26 के एंग्लो बर्मीज युद्ध रोहंगियों की गद्दारी और नमकहरामी की कहानियां हैं। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापानियों ने नमकहराम और गद्दार रोहंगियाओं को मारकर भगाया।1962 में जनरल नेविन को जब रोहंगियाओं ने धमकी दी कि ‘रोहंगिया देश ‘ के लिए वे तख्तापलट की कार्रवाई कर सकते हैं तो बर्मी सेना ने रोहंगियाओं को न केवल खदेड़ा बल्कि वहां की सरकार ने सभी रोहंगियाओं की नागरिकता भी छीन ली।थाईलैंड ने 1991 -92 में रोहंगियाओं पर सैन्य कार्रवाई की थी।25 अगस्त को रोहिंग्या आतंकियों ने म्यामांर के उत्तर रखाइन में पुलिस पोस्ट पर हमला कर 12 सुरक्षाकर्मियों को मार दिया था। स्पष्ट है शेख हसीना म्यांमार से बौद्ध भिक्षु अशीन विराथु की अपील पर मारकर भगाये गए उन जन्मजात अपराधी रोहंगियाओं को शरण देने की बात भारत से कर रही हैं जिनका सदियों पुराना आपराधिक इतिहास है और जो शरण देने वाले देश की सेना और सरकारों से ‘रोहंगिया देश की स्थापना के लिए सशस्त्र-युद्ध करते रहे हैं।
इस बीच भारतीय अवाम पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नजमा परवीन ने वाराणसी में बंगलादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा है कि बंगलादेशियों और रोहिंग्या मुसलमानों ने भारत को संगठित तरीके से बर्बाद करने का मंसूबा पाल रखा है। (देखें https://www.prabhatkhabar.com/state/up/varanasi/agitation-against-rohingyas-and-bangladeshis-in-varanasi-by-bharatiya-avam-party-nrj) । वे कहती हैं -अवैध बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों ने भारत का धार्मिक और सामाजिक संतुलन बिगाड़ कर रख दिया है इन घुसपैठियों की वजह से भारत में हिंसा बढ़ रही है।
जिन ‘बेघर ‘रोहंगियाओं के लिए शेख हसीना की छाती में दूध उतर आया है उन्हीं रोहंगियों की छोटी सी नाव एक महीने तक अंडमान के सागर में यूं ही भटकती रही पर बांग्लादेश के तट रक्षक दल ने उसे अपने देश की सीमा में घुसाने नहीं दिया (देखें https://www.bbc.com/hindi/international-54763851 )। उन्होंने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र की आम सभा में कहा कि “मौजूदा संकट (लाखों रोहंगिया शरणार्थी ) क्षेत्रीय ख़तरा बनता जा रहा है, बढ़ती भीड़ और पर्यावरण में आई गिरावट के अलावा यह क्षेत्र में स्वास्थ्य और सुरक्षा के मोर्चे पर भी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है.” ।किसी मुस्लिम देश ने भी रोहंगियों को शरण नहीं दिया। नाव से यात्रा करके बांग्लादेश से मलेशिया जाना नौजवान रोहिंग्याओं के लिए एक आम रास्ता था दस दिनों तक समुद्र में रहने के बाद उनकी नाव को मलेशियाई नेवी ने देख लिया था और उन्होंने उसे तट पर उतरने की इजाज़त नहीं दी। .जब संयुक्त राष्ट्र संघ ने हस्तक्षेप किया तो ‘अस्थायी रूप से’ रोहंगियाओं को शरण देना भारत ने स्वीकारा जिसका बुरा परिणाम भारत को भुगतना पड़ रहा है।
सनद रहे ,आदतन अपराधी रोहंगियाओं ने म्यांमार के शांतिप्रिय लोगों को इतना त्रस्त किया कि विराथु को हथियार उठाने के लिए बौद्ध समाज से अपील करनी पडी। उन्होने कहा -” रोहंगियाओं को म्यांमार से मारकर भगाना होगा ,आप पागल कुत्ते के साथ नहीं सो सकते चाहे आप जितने भी सहनशील और आशावादी हों।विराथु ने कहा था, ‘मुसलमान अफ्रीकी कार्प की तरह हैं. वे जल्दी प्रजनन करते हैं और वे बहुत हिंसक होते हैं. भले ही वे यहां अल्पसंख्यक हैं, लेकिन वे हमारे ऊपर जो बोझ डालते हैं, हम उसके बोझ तले दबे हैं.’ (देखें https://www.tv9hindi.com/world/asia-news/myanmar-buddhist-ashin-wirathu-released-by-military-government-famous-for-anti-muslim-comments-know-about-him-819470.html) ।संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं का कहना है कि विराथु की अपील के बाद लगभग 10,000 लोग मारे गए थे और 7,30,000 से अधिक रोहंगिया बांग्लादेश के लिए भाग खड़े हुए थे। विराथु की अपील का असर इतना व्यापक था कि यूरोप के उदारवादियों की भी घिग्घी बांध गयी (देखें जर्मनी को शरणार्थियों से शरण चाहिए ९( देखें )https://hindi.webdunia.com/current-affairs/refugees-crisis-in-germany-by-ram-yadav-115121500025_1.html , https://www.jagranjosh.com/current- affairs/%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A5%80%E0%A4%AF-%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%95%E0%A4%9F-%E0%A4%8F%E0%A4%95-%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%B7%E0%A4%A3-1443609886-2),
विराथु कहते हैं कि इस्लाम के विरोध का बुद्ध की शिक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं है। वो (मुस्लिम) तेजी से बढ़ रहे हैं और वो हमारी महिलाओं का अपहरण -बलात्कार कर रहे हैं,रोहंगिया मुसलमान हमारे देश को हथियाना चाहते हैं, लेकिन मैं उन्हें ऐसा करने नहीं दूंगा. हमें म्यांमार को बौद्ध रखना होगा ,अगर हम कमजोर हुए तो हमारी जमीन मुसलमानों की हो जाएगी.’। शांतिप्रिय बौद्ध धर्म का भिक्षु विराथु यदि रोहंगियाओं को मार भगाने के लिए हथियार उठाने को विवश हो जाता है तो फिर कारण बताने -कहने-सुनने की आवश्यकता ही नहीं रह जाती। विराथु की अपील का असर इतना व्यापक था कि यूरोप के उदारवादियों की भी घिग्घी बांध गयी यह देखकर कि कराहता हुआ जर्मनी कह उठा ‘जर्मनी को भी अपने शरणार्थियों से शरण चाहिए (देखें https://hindi.webdunia.com/current-affairs/refugees-crisis-in-germany-by-ram-yadav-115121500025_1.html ) ,