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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को “पी एफ आई” जैसा बताना राष्ट्र को धोखा देना है

मुंबई। पॉप्युलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ( पी एफ आई ) और उसके आठ अनुषांगिक संगठनों पर भारत साकार ने प्रतिबन्ध लगाया है तो मुस्लिम परास्त अनेक राज नेता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (संघ) पर भी प्रतिबन्ध लगाने की बात कर रहे हैं। राष्ट्र को समर्पित ‘संघ’ की तुलना पी एफ ए से करना देश में भ्रम की स्थित बनाकर उसे गृहयुद्ध में झोंकनेवाली राष्ट्रद्रोही शक्तियों का समर्थन करने जैसा कुकर्म है। यह बात केरल ,असम ,गुजरात , मध्यप्रदेश , कर्नाटक , उत्तरप्रदेश की सरकारों की मांग पर पी एफ आई पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग से सिद्ध हो जाता है। केरल की सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टियों एवं कांग्रेस की सरकार ने इस संगठन पर दंगे भड़काने का दोष डालते हुए उच्च न्यायालय में मामला दर्ज कराया है। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) ने 23 सितंबर को पीएफआई द्वारा आहूत हड़ताल के कारण निगम को हुए नुकसान के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से 5.06 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए केरल उच्च न्यायालय का रुख किया है। प्रदर्शन के दौरान 71 केएसआरटीसी बसें क्षतिग्रस्त हो गईं थीं और 11 कर्मचारी घायल हुए थे। पी एफ आई के कुकृत्यों पर दृष्टिपात आवश्यक है।

केरल ,असम ,गुजरात , मध्यप्रदेश , कर्नाटक , उत्तरप्रदेश की सरकारों ने पी एफ आई पर प्रतिबन्ध लगाने की मांग की थी।‘एजीटेशनल टेररिजम’ (आंदोलनात्मक आतंकवाद) के माध्यम से भारत देश को अधिक हानि पहुंचाने का काम ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) कर रहा है ।

समाजसेवा के बहाने पी एफ आई विदेशी धन से भारत में दंगे एवं अशांति का वातावरण बनाता रहता है ,सी ए ए तथा एन आर सी , किसान आन्दोलनों की भी फंडिंग करने और देश में दंगे फैलाने में इसका योगदान पाया गया। इसने समानांतर सेना – गुप्तचर एजेंसियां आदि की रचना करके उनको क्रियाशील बनाया है।

पी एफ आई ने इस्लामी एस्टेट की स्थापना के लिए आई एस आई एस ,जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश जैसे आती संगठनों के लिए काम करता है। यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पी.एफ.आई.) ने मोपला हत्याकांड की १०० वीं वर्षगांठ के अवसर पर, १९ फरवरी १९२१ को जिले के तेनीपलम में मालाबार में हिन्दुओं के नरसंहार का शताब्दी समारोह मनाते हुए एक जुलूस निकाला।उस जुलूस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वर्दी पहने पुरुषों को हथकडी लगाए दिखाया गया। पी.एफ.आई. द्वारा यही दिखाने का प्रयास किया गया है कि, आगे भी हिन्दुओं का नरसंहार हो सकता है ।

पी एफ आई द्वारा संचालित रिहैब इंडिया फाउंडेशन विदेशों से प्राप्त पैसे को धार्मिक संस्थानों में लगाता है, जहां धर्म के नाम पर जिहाद का संदेश दिया जाता है। इन पैसों से जरूरतमंदों को लालच देकर धर्मांतरण व लव जिहाद कराई जा रही है।

पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नेताओं के मोबाइल में पुलिस को बातचीत करने के नए-नए एप मिले हैं। इन पर होने वाली बातचीत का एजेंसियां पता नहीं लगा पाती हैं।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रचारक व सक्रिय सदस्य खाड़ी देशों से जकात का पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वहां के अमीर कारोबारियों को भारत में मुस्लिमों पर जुल्म की झूठी कहानी बताते हैं। फिर उन्हीं पैसे से भारत में आतंक की पाठशाला चलाते हैं।

पी एफ आई ने पेंटर, मैकेनिक, मजदूर, कपड़े बेचने वाले, टायर की दुकान से लेकर पत्रकार, डॉक्टर, टीचर,अकाउंटेट को पीएफआई ने बड़े-बड़े पद देकर लीडर बना रखा है । पीएफआई अपने संगठन का विस्तार करने के लिए छोटे-छोटे लोगों को जोड़ रहा था। जिनकी आम लोगों के घरों तक सीधे पहुंच हो क्योंकि ऐसे लोगों पर कोई शक नहीं करता था।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भाजपा के शीर्ष नेताओं और पार्टी के वैचारिक संरक्षक आरएसएस को निशाना बनाने और अगले महीने दशहरा के दौरान उनके आंदोलनों की निगरानी करने की योजना बनाई है। आरएसएस का नागपुर मुख्यालय, पीएफआई के लक्ष्यों की सूची में शामिल था। PFI समाज में दरार पैदा करके देश को खोखला कर रहा है।

पी एफ आई संगठन के सदस्य सीरिया, इराक व अफगानिस्तान में जाकर आईएस के आतंकी समूहों में शामिल हुए और उनमें कई वहां मारे गए। कुछ को वहां की पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने गिरफ्तार किया। इसके साथ ही आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के साथ उसके संबंध पाए गए हैं।पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (पी.एफ.आई.) ने मोपला हत्याकांड की १०० वीं वर्षगांठ के अवसर पर, १९ फरवरी १९२१ को जिले के तेनीपलम में मालाबार में हिन्दुओं के नरसंहार का शताब्दी समारोह मनाते हुए एक जुलूस निकाला।उस जुलूस में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वर्दी पहने पुरुषों को हथकडी लगाए दिखाया गया। पी.एफ.आई. द्वारा यही दिखाने का प्रयास किया गया है कि, आगे भी हिन्दुओं का नरसंहार हो सकता है । पीएफआई ने बीजेपी के टॉप लीडर्स व आरएसएस को निशाना बनाने की साजिश रची है। दशहरा पर आरएसएस मुख्यालय व बीजेपी नेताओं को निशाना बनाने की फिराक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) था। पूरी तैयारियां थीं लेकिन इसके पहले एनआईए ने पूरी साजिश का पर्दाफाश कर दिया।पापुलर फ्रंट के कई सीनियर लीडर ईएम अब्दुल रहिमान, कलीम कोया सहित तिहाड़ जेल में बंद हैं।

पीएफआई ने भारत सरकार केविरुद्ध हिंसक जवाबी कार्रवाई करने का फैसला करते हुए ‘बयाती’ का सहारा लिया है। अरबी भाषा में ‘बयाती’ का अर्थ होता है ‘मौत के एजेंट’ या ‘फिदायीन’ जो अपने चीफ के प्रति बेहद वफादार होते है। वह अपने चीफ से प्रतिज्ञा करता है कि या तो वह मिशन को पूरा करके लौटेगा या फिर मर जाएगा । ऐसे आत्मघाती दस्तों को जगह-जगह एक्टिव करने की योजना थी जो एनआईए, ईडी, पुलिस व अन्य को निशाना बनाते।पीएफआई हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप भी चलाता है। यह संगठन देश में हवाला व चंदे के माध्यम से पैसा एकत्रित कर कट्टरपंथ फैला रहा है। युवाओं को बरगला कर उन्हें आतंकवाद में धकेल रहा है। पिछले कुछ सालों में लोगों को भयभीत करने के लिए पीएफआई ने देश के विभिन्न राज्यों में हत्याएं भी कराईं है।इसके अलावा सी ए ए तथा एन आर सी , किसान आन्दोलनों की भी फंडिंग करने और देश में दंगे फैलाने में इसका योगदान पाया गया।NIA के डोजियर के मुताबिक यह संगठन मुस्लिमों पर धार्मिक कट्टरता थोपने और जबरन धर्मांतरण कराने का काम करता है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।

NIA की कार्रवाई के बाद पकड़े गए सदस्यों से खुलासा हुआ है कि पीएफआई अपने संगठन का विस्तार करने के लिए छोटे-छोटे लोगों को जोड़ रहा था। जिनकी आम लोगों के घरों तक सीधे पहुंच हो क्योंकि ऐसे लोगों पर कोई शक नहीं करता था। पी एफ आई ने पेंटर, मैकेनिक, मजदूर, कपड़े बेचने वाले, टायर की दुकान से लेकर पत्रकार, डॉक्टर, टीचर,अकाउंटेट को पीएफआई ने बड़े-बड़े पद देकर लीडर बना रखा है । एनआईए और एटीएस ने कार्रवाई कर जिन 21 पीएफआई और एसडीपीआई के नेताओं को गिरफ्तार उनके पास से दस्तावेज, मोबाइल, लैपटॉप और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किये । पीएफआई के लिए फंड जुटाने का काम रिहैब इंडिया फाउंडेशन करता है।सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक फाउंडेशन के जरिए आए पैसे को धार्मिक संस्थानों में लगाया जा रहा है, जहां धर्म के नाम पर जिहाद का संदेश दिया जाता है। इन पैसों से जरूरतमंदों को लालच देकर धर्मांतरण व लव जिहाद कराई जा रही है। ईडी को शफीक से पीएफआई का नेटवर्क खाड़ी देशों से जुड़े होने की जानकारी मिली है। शफीक विदेशियों को भी संगठन से जोड़ने का काम कर रहा था।

इंदौर से गिरफ्तार पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नेताओं के मोबाइल में पुलिस को बातचीत करने के नए-नए एप मिले हैं। इन पर होने वाली बातचीत का एजेंसियां पता नहीं लगा पाती हैं। अब एजेंसियां आरोपियों की कॉल डिटेल, चैटिंग और अन्य इंटरनेट एप की बारिकी से जांच कर रही हैं ताकि संगठन की गतिविधियों और आगे की रणनीति को लेकर और सबूत जुटाए जा सकें। केरल, कर्नाटक सहित कई राज्यो में हुई हत्याओं में पी एफ आई का हाथ था। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने देशभर में दो बार छापेमारी कर इस संगठन के 300 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

केरल में अभिमन्यु की 2018, ए संजीथ की नवंबर 2021, नंदू की 2021 में हुई हत्याओं में इसी संगठन का हाथ है। इसके अलावा तमिलनाडु में 2019 में रामलिंगम, 2016 में शशि कुमार, कर्नाटक में 2017 में शरथ, 2016 में आर. रुद्रेश, 2016 में ही प्रवीण पुजारी और 2022 में प्रवीण नेट्टारू की नृशंस हत्याएं भी इसी संगठन ने करवाई थी। इन हत्याओं का एकमात्र मकसद देश में शांति भंग करना और लोगों के मन में खौफ पैदा करना था। चार जुलाई 2010 को केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी गई थी। पीएफआई मलयाली प्रोफेसर जोसेफ से नाराज था। संगठन का मानना था कि जोसेफ ने कॉलेज की परीक्षा में कथित तौर पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की थी। इसका बदला लेने के लिए पीएफआई के कार्यकर्ताओं ने जोसेफ के दाहिने हाथ की हथेली काट दी थी। इस घटना के आरोपियों को एनआईए ने गिरफ्तार किया था।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के प्रचारक व सक्रिय सदस्य खाड़ी देशों से जकात का पैसा जुटाते हैं। इसके लिए वहां के अमीर कारोबारियों को भारत में मुस्लिमों पर जुल्म की झूठी कहानी बताते हैं। फिर उन्हीं पैसे से भारत में आतंक की पाठशाला चलाते हैं। PFI यहां गरीबों की पढ़ाई व बीमारी के नाम पर मदद कर नेटवर्क मजबूत कर रहा है। इसका खुलासा केरल के कोझिकोड से ईडी की गिरफ्त में आए PFI के प्रचारक शफीक पाएथ से पूछताछ में हुआ है। शफीक की रिमांड तीन अक्तूबर को खत्म होगी। पीएफआई के लिए फंड जुटाने का काम रिहैब इंडिया फाउंडेशन करता है। यही फाउंडेशन ही शफीक को पैसे देता था, जिसे उसने लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों के अलावा दिल्ली और भारत-नेपाल सीमा के इलाकों में संगठन को मजबूत करने के लिए खर्च किया।

2017 में NIA ने गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। NIA जांच में इस संगठन के हिंसक और आतंकी गतिविधियों में लिप्त होने के बात आई थी। एनआईए ने कहा है कि यह संगठन युवाओं को कट्टर बनाकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी उकसाता है।इसके सदस्य सीरिया, इराक, अफगानिस्तान में जाकर आईएस जैसे आतंकी संगठनों में शामिल हुए।2003 में कोझिकोड में आठ हिंदुओं की हत्या के बाद इस संगठन पर आईएसआई से संबंध होने के आरोप लगे। हिंसक गतिविधियों में नाम आने के बाद इस संगठन की चर्चा हर तरफ होने लगी। इसके बाद नवंबर 2006 में दिल्ली में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें NDF के अलावा दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों का विलय हुआ और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया अस्तित्व में आया।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भाजपा के शीर्ष नेताओं और पार्टी के वैचारिक संरक्षक आरएसएस को निशाना बनाने और अगले महीने दशहरा के दौरान उनके आंदोलनों की निगरानी करने की योजना बनाई है। आरएसएस का नागपुर मुख्यालय, पीएफआई के लक्ष्यों की सूची में शामिल था। PFI समाज में दरार पैदा करके देश को खोखला कर रहा है । केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) ने 23 सितंबर को पीएफआई द्वारा आहूत हड़ताल के कारण निगम को हुए नुकसान के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से 5.06 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए केरल उच्च न्यायालय का रुख किया है। प्रदर्शन के दौरान 71 केएसआरटीसी बसें क्षतिग्रस्त हो गईं थीं और 11 कर्मचारी घायल हुए थे।

केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक, पीएफआई के अलावा 9 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है। पीएफआई के अलावा ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन ‘(RIF), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (CFI),’ऑल इंडिया इमाम काउंसिल ‘(AIIC), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन’ (NCHRO), ‘नेशनल वीमेन फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, इम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल जैसे सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है। कुछ दिन पहले ही एनआईए-ईडी ने मिलकर देश के अलग-अलग राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी की थी और उसके 200 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। एनआआई ने पहला छापा 22 सितंबर को मारा था, जहां 11 राज्यों में करीब 96 जगह छापेमारी के दौरान 100 से अधिक वर्कर्स अरेस्ट किए गए थे. उसके बाद 27 सितंबर रयानी मंगलवार को भी यूपी-दिल्ली समेत देश के 8 राज्यों में स्टेट पुलिस ने छापेमारी की थी और सैकड़ों वर्कर्स को गिरफ्तार किया था.केंद्रीय गृह मंत्रालय गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 35 के तहत पहले से ही 42 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची में इस्लामिक पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को शामिल करने की तैयारी में है।एनआईए के अनुसार, संगठन अल कायदा, पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित वैश्विक जिहादी समूहों के लिए भारत में कट्टरपंथी भर्ती कर रहे थे।

अगस्त के आखिरी सप्ताह में ही गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार(NSA) के बीच हुई बैठक में पीएफआई पर कार्रवाई को अंतिम रूप दिया गया था।इसके लेर टीम बनायी गई जिनका काम था- 1. पीएफआई नेटवर्क की मैपिंग, 2. पीएफआई फंडिंग का पता करना और सबूत इकट्ठा करना, 3. पूर्व में हुए सभी दंगों और घटनाओं के खिलाफ फिर से जांच करना। दो सिंतबर को डोभाल पीएम मोदी के साथ केरल पहुंचे। यहां आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी दिल्ली लौट आए, लेकिन डोभाल केरल में रुक गए। यहां उन्होंने केरल के टॉप पुलिस अफसरों के साथ बैठक की। इसके बाद डोभाल मुंबई पहुंचे। यहां भी उन्होंने राजभवन के सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। महाराष्ट्र के टॉप पुलिस अधिकारियों से भी बात की।

15 सितंबर को डोभाल ने एनआईए और ईडी के अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे एक्शन की जानकारी दी। डोभाल ने सभी अधिकारियों को 22 सितंबर की सुबह ही एक्शन का आदेश दे दिया था। सुबह होते ही एनआईए और ईडी की टीमों ने 15 राज्यों के 150 से ज्यादा पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। ये पीएफआई के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा अभियान था। इसके बाद केरल से पीएफआई के 22, महाराष्ट्र से 20, कर्नाटक से 20, तमिलनाडु से 10, असम से नौ, उत्तर प्रदेश से आठ, आंध्र प्रदेश से पांच, मध्य प्रदेश से चार, पुडुचेरी से तीन, दिल्ली से तीन और राजस्थान से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया। पूरे देश के आंकड़ों को देखें तो 22 सितंबर को पीएफआई से जुड़े 106 लोगों को गिरफ्तार किया गया। केंद्रीय एजेंसी ने 27 सितंबर को पीएफआई के खिलाफ दूसरी बड़ी छापेमारी की। यह छापेमारी सात राज्यों में हुई और 230 से ज्यादा पीएफआई सदस्यों को हिरासत में लिया गया। इस छापेमारी में कर्नाटक में सर्वाधिक 80, यूपी में 57, असम व महाराष्ट्र से 25-25, दिल्ली में 32, मध्य प्रदेश में 21, गुजरात में 17 लोगों को गिरफ्तार किया गया।

उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने बयान दिया, ‘जो लोग सिमी से जुड़े थे, उस पर प्रतिबंध के बाद एक नया संगठन ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ बना। वे युवाओं को कट्टरपंथी बनाना चाहते हैं और उन्हें आतंकवाद की ओर धकेलना चाहते हैं।’

वर्ष २०४७ तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाकर शरिया कानून के अधीन इसे लाने के षड्यंत्र की योजना बनाकर देशद्रोही मुसलमानों ने सोसाइटी एक्ट के तहत २००६ में पॉप्युलर फॉण्ट ऑफ़ इंडिया को पंजीकृत कराया और १७ फरवरी २००७ से उसपर कार्यारम्भ कर दिया । पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया , दक्षिण भारत के 3 मुस्लिम संगठनों का विलय करके बनाया गया था – केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिथा नीति पसराई। पी.एफ.आई. का दावा है कि वर्तमान में ४ लाख से अधिक सदस्यों के साथ देश के २३ राज्यों उसका संगठन सक्रिय है।पीएफआई के बारे में लिखा है कि इसके ज्यादातर सदस्य इस्लामिक स्टूडेंट मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े रहे हैं। संगठन के लोगों के पास से पूरे राज्य में आपत्तिजनक साहित्य और सामग्री बरामद की गई है। यूपी की हिंसा में पकड़े गए कई लोगों के संबंध पीएफआई से निकले हैं।

इसने योजनाबद्ध तरीके से केंकड़े की तरह अपना फैलाव किया जिसमें विदेशी ‘भारत द्रोहियों’ से धन पाने के लिए तीन संगठनों का संचालन विदेशी धरती पर कर रहा था तो उस धन का उपयोग कर स्वयं के लिए निजी सेना – निजी गुप्तचर इकाइयों का संचालन , गैर मुसलमानों में इस्लाम का प्रचार करने का काम करता रहा है। पी.एफ.आई. ने पढ़े-लिखे और बेरोजगार मुस्लिम युवाओं को अपने जाल में फंसाकर उन्हें आई.एस.आई.एस. से जोड़ने का तंत्र भी बनाया। देश में स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट यानी सिमी पर बैन लगने के बाद पी.एफ.आई. का विस्तार तेजी से हुआ है। कर्नाटक, केरल जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों में इस संगठन की काफी पकड़ बताई जाती है और इसकी कई शाखाएं भी हैं। वर्ष 2014 के उपरांत आतंकवाद का स्वरूप बदल गया है । आज ‘एजीटेशनल टेररिजम’ (आंदोलनात्मक आतंकवाद) के माध्यम से भारत देश को अधिक हानि पहुंचाने का काम ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पी.एफ.आई.) कर रहां है । आतंकवादी आक्रमणों की अपेक्षा दंगे कराना, हिंसाचार करना, लोगों को उग्रवादी बनाना, इनसे अधिक हानि हो रही है, यह इन लोगों को समझ में आ गया है । इसलिए पी.एफ.आई. की गहन जांच होनी चाहिए और उनपर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए,पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमॉक्रैटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के प्रदेश अध्यक्ष नूर हसन को पुलिस अरेस्‍ट कर चुकी है। लखनऊ पुलिस ने पीएफआई के प्रदेश संयोजक वसीम अहमद समेत अन्य पदाधिकारियों को भी शहर में बड़े पैमाने पर हिंसा और आगजनी करने के मामले में गिरफ्तार किया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कर्नाटक दौरे से शुरू होती है। यहां शाह एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस कार्यक्रम के बाद अमित शाह, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र के बीच एक बैठक होती है और यहीं से पीएफआई के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत होती है। इसके बाद शाह दिल्ली लौटे और तेजतर्रार अधिकारियों की एक टीम तैयार की गई।

पीएफआई, विदेशी खुफिया एजेंसियों का मोहरा बन चुका था, इस संबंध में कई राज खुलने बाकी हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ ने जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन, हिजबुल मुजाहिदीन को जिस तरह से अपना मोहरा बनाया था, कुछ वैसे ही पीएफआई के तार भी वहां से जुड़ने का खुलासा हो सकता है पीएफआई के फाउंडिंग मेंबर्स, सिम्मी से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भारत में प्रतिबंधित है। जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश इसके साथ भी पीएफआई के संबंध बताए जाते हैं। इस संगठन पर भी बैन लगा है। दिल्ली पुलिस के पूर्व स्पेशल सीपी एवं ईडी के निदेशक रह चुके करनैल सिंह मानते हैं कि पीएफआई की गतिविधियां संदिग्ध रही हैं। जांच एजेंसियों को इस बाबत काफी सबूत मिले हैं। इस संगठन पर बहुत समय पहले ही बैन लग जाना चाहिए था। करीब दो दर्जन राज्यों में पीएफआई एवं इसके सहयोगी संगठनों की पहुंच रही है। विदेशी खुफिया एजेंसियां, ऐसे संगठनों को ही मोहरा बनाकर देश में तोड़फोड़ की साजिश रचती हैं। हिजबुल मुजाहिदीन का उदाहरण सामने हैं। पाकिस्तान की आईएसआई ने भारत के खिलाफ इस संगठन का जमकर इस्तेमाल किया है। हिजबुल मुजाहिद्दीन को भारत ही नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ सहित अमेरिका भी आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। इस संगठन की कमान सैयद सलाहुद्दीन के हाथ में है जो पाकिस्तान में बैठकर अपनी आतंकी गतिविधियों का संचालन करता है। इन सबके मद्देनजर, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना बहुत जरूरी था।

एनआईए में कई वर्षों तक सेवाएं देने के बाद अपने मूल कैडर में लौटे एक आईपीएस अधिकारी का कहना है, इस संगठन में हर चीज के एक्सपर्ट बैठे हैं। टारगेट किलिंग हों या सांप्रदायिक विवाद कराना, ऐसे संगठनों के लिए बहुत आसान है। पीएफआई के पास विस्फोटक तैयार करने वाले लोगों की एक टीम है। अगर ईडी ने कोर्ट में यह कहा है कि ये संगठन, पीएम पर हमले का प्लान बना रहा था तो वह गलत नहीं है। ऐसे लोग, किसी सीमा तक भी जा सकते हैं। अगर गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप में पुलिस इस संगठन के लोगों को गिरफ्तार करती, तो उनकी पैरवी के लिए वकीलों की लाइन लग जाती थी। दो-तीन वर्ष से यह भी देखने में आया है कि पीएफआई को विदेश से मिल रही फंडिंग का तरीका भी बदल गया था। जांच एजेंसियों से बचने के लिए सामान्य समूहों व लोगों के खातों में पैसे आ रहे थे। इसके लिए कई मुखौटा समूह या कंपनी भी तैयार की गई।

वैश्विक आतंकी समूहों से जुड़ गया पीएफआई

आईएसआईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से पीएफआई का मेलजोल काफी ज्यादा बढ़ गया था। संगठन के कुछ सदस्यों ने आईएसआईएस ज्वाइन भी कर लिया। आतंकी गतिविधियों के लिए ट्रेनिंग की बात होने लगी। बाद में यह साबित हो गया कि पीएफआई और उसके संगठन, सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक संगठन के रूप में कार्य करते रहे हैं। यह संगठन अपने एक गुप्त एजेंडे के आधार पर समाज के एक वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर कर रहा था। इसके सदस्य देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई की हकरतें, देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रतिकूल हैं। इनसे शांति तथा साम्पद्रायिक सदभाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।

देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बना पीएफआई

पीएफआई, कई तरह के आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है। बाहरी स्रोतों से प्राप्त धन और वैचाारिक समर्थन के बल पर यह संगठन, देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। इस संगठन के कुछ सदस्य, अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों से जुड़े रहे हैं। इसके सदस्य, सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान में आतंकी कार्यकलापों में भाग ले चुके हैं। इन जगहों पर पीएफआई के कई सदस्य मारे भी गए हैं। पीएफआई व इसके सहयोगी संगठन, आपराधिक षडयंत्र के तहत भारत के अंदर और बाहर से धन एकत्रित कर रहे हैं। एनआईए एवं सहयोगी एजेंसियों की छापेमारी के बाद सरकार ने इस संगठन को बैन किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केंद्र सरकार में कई मंत्री पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पीएफआई के संदर्भ में कहा, केरल आतंकवाद और कर्ज जाल का गढ़ बन गया है। केरल में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। यहां पर जो लोग हिंसा करते हैं, उन्हें वाम सरकार का मौन समर्थन हासिल है।

                सन्दर्भ 

https://www.google.com/intl/hi/inputtools/try/
https://www.indiaspeaksdaily.com/the-fight-over-the-welcome-of-the-ban-on-pfi-is-still-long-mahamandaleshwar-yeti-narasimhanand-giri/
https://www.youtube.com/watch?v=ie0mgTGyVnA
https://punjab.punjabkesari.in/national/news/nia-s-biggest-disclosure-about-pfi-1683717
https://www.lokmatnews.in/crime/pfi-planned-to-target-rss-bjp-leaders-says-police-sources-b628/
ttps://www.prabhasakshi.com/national/home-ministry-will-tighten-its-grip-on-pfi-preparing-to-ban-under-uapa
https://news4nation.com/news/when-pfi-panics-due-to-shah-s-visit-to-seemanchal-nia-s-raid-on-pfi-created-panic-in-mahagathbandhan-parties-bjp-s-ramsagar-s-sarcasm-250911

https://www.amarujala.com/india-news/pfi-ban-in-india-government-considered-pfi-is-major-threat-to-the-security-of-the-country?src=story-related-auto

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