महाबलीपुरम का शौर्य बढ़ा तो निस्तेज हो गया ताजमहल
{किसी भी राष्ट्र की पहचान उसकी सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों से होती है। पूर्वजों की विरासत, इतिहास की धरोहर, एक राष्ट्र को और राष्ट्र के लोगों को विशिष्ट बनाती हैं , दूसरे देशों से अलग और अनूठा दिखाती हैं। ऐसे में जरूरी है धरोहरों का संरक्षण हो, जीर्णोद्धार हो, पुनरुद्धार हो। उन्हें सहेजा – संवारा जाए और उनका संरक्षण किया जाए।सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहरों की बात करें तो भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक यानी चारों दिशाओं में ऐसी सांस्कृतिक, प्राकृतिक और ऐतिहासिक कृतियां भरी पड़ी हैं।}
सरकार -समर्थित मुख्य पर्यटन केंद्र का दर्जा समाप्त होते ही ताजमहल(taj mahal) अब विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र नहीं रहा। अब विदेशी पर्यटक उन स्थलों की सैर कर रहे हैं जिनको अनुपम वास्तुशिल्प के बाद भी पूर्ववर्ती सरकारें हिन्दूफोबिया के चलते हाशिये पर डाले हुए थी। पर्यटन मंत्री द्वारा जारी भारतीय पर्यटन सांख्यिकी 2022 के अनुसार, तमिलनाडु का ऐतिसाहिक शहर मामल्लापुरम ने विदेशी पर्यटकों की संख्या में ताजमहल को पछाड़ दिया है। मामल्लापुरम को महाबलीपुरम(mahabalipuram) के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, 2021-22 में चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित मामल्लापुरम में 1,44,984 विदेशी पर्यटक आए थे। यह संख्या उन कुल विदेशी पर्यटकों की संख्या की 45.50 प्रतिशत थी।इस सूची में ताजमहल 38 हजार लोगों के आगमन के साथ दूसरे नंबर पर रहा।
महाबलीपुरम मंदिर मामल्लापुरम में है जो तमिलनाडु के चेंगलपट्टू जिले का एक शहर है। महाबलीपुरम को 7वीं और 8वीं शताब्दी के हिंदू स्मारकों के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिए जाना जाता है। वैसे महाबलीपुरम मंदिर की तरह ताजमहल अभी भी ‘ यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल’ के रूप में चिन्हित है और भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों के कारण भारत में 2021 में विदेशी पर्यटकों की संख्या कम हो गई। 2020 में देश में 27.40 लाख विदेशी सैलानी आए थे जिनकी संख्या पिछले साल कम होकर 15.20 लाख रह गई। वर्ष 2020 की तुलना में 2021 में भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में 44.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
केंद्रीय सूची में शीर्ष 10 स्मारकों में से छह तमिलनाडु में हैं। इनमें चेंगलपट्टू जिले के तटीय गांव सालुवनकुप्पम में स्थित रॉक-कट मंदिर के साथ दो अन्य स्मारक हैं। इसके अलावा जिंजी जिले के पास जिंजी दुर्ग (जिंजी फोर्ट), कन्याकुमारी जिले के पास वट्टाकोट्टई किला, थिरुमयम किला, रॉक-कट जैन मंदिर और पुदुक्कोट्टई जिला में सिट्टानवासल शामिल है।
पिछली सरकारों ने किस तरह हिंदू आस्था के केन्द्रों के साथ सौतेला व्यवहार किया इतिहास इसका गवाह है। आजादी के तुरंत बाद गुजरात स्थित सोमनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार बड़ा कठिन काम था। सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयासों के चलते मंदिर का पुनरुत्थान तो हो गया पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को उद्घाटन किया। मंदिरों के उद्धार को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के उत्साह के चलते आज देश में स्थितियां बदल चुकी हैं।विदेशी पर्यटकों की हिन्दू तीर्थ स्थलों पर बढ़ी संख्या इसका अनुपम उदाहरण है।