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हिंदुस्तान में हिन्दुओं से भेदभाव…क्यों ?…और…कबतक…

तेलंगाना में मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, सरकार ने दी मुस्लिमों को खुली छूट,

{दरअसल सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें तेलंगाना (telangana) में दो दिन पहले आयोजित TSPSC Group-1 की परीक्षा के दौरान हिन्दू छात्राओं से भेदभाव करते देखा जा सकता है। परीक्षा केंद्र पर बुर्का और हिज़ाब की खुली छूट थी। सुरक्षाकर्मी बुर्का पहनी मुस्लिम छात्राओं की तलाशी भी नहीं ले रहे थे। उन्हें सीधे परीक्षा हॉल में जाने की अनुमति दी जा रही थी। वहीं हिन्दू छात्राओं के साथ बहोत भेदभाव किया गया। हिन्दू लड़कियों और छात्रोंसे की चूड़ियां,पायल और झुमके उतरवाए गये, यहां तक कि छात्राओं के अखंड सौभाग्य का प्रतीक मंगलसूत्र को भी गले से निकलवाया गया।}

हिंदुस्तान में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों में मुस्लिम तुष्टिकरण (appeasement) की होड़ मची है। मुस्लिमों का वोट हासिल करने के लिए ये पार्टियां किसी भी हद तक जाने को तैयार है। इसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री खुद को मुस्लिम तुष्टिकरण का चैंपियन साबित करने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। ताकि राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पार्टी के विस्तार को पंख लग सके। सरकार में मुस्लिमों को खुश करने के लिए जहां उन्हें पूरी छूट दी जा रही है और उनके निर्देशों को लागू किया जा रहा है, वहीं विधायक राजा सिंह जैसे हिन्दुओं और महिलाओं को दमन का शिकार होना पड़ा रहा है। हिन्दू विरोधी,हिन्दुओं को अपमानित करने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं।

इस मुस्लिम तुष्टिकरण को देखकर हिन्दुओं में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों ने सरकार को हिन्दू विरोधी बताकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

सांप्रदायिकता और सेकुलरिज्म (secularism) की परिभाषा तय करने के लिए आज देश में एक व्यापक बहस कराने की जरूरत है। आखिर सेकुलरिज्म के मापदण्ड क्या हैं? कैसे तय होगा कि कौन सांप्रदायिक है और कौन नहीं? एक तरफ वर्षों से विशेष वर्ग के तुष्टीकरण की राजनीति को पाल-पोस रहे तमाम राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी सेक्युलर कहलाते हैं। वहीं, एक देश-एक नीति की बात करने वाले राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवी सांप्रदायिक कहलाते हैं? यह किस प्रकार संभव है? किसी भी सामान्य बुद्धि के व्यक्ति के लिए यह समझना मुश्किल है कि धर्म के आधार पर विशेष संप्रदाय को लाभ पहुँचाना कैसे सेक्युलर कार्य हो सकता है?

यह भारतीय समाज के लिए बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुष्टिकरण की राजनीती करनेवाले और उसके प्रगतिशील साथी प्रारंभ से ही सेक्युलरिज्म और सांप्रदायिकता की मनमाफिक परिभाषाएं गढ़कर बड़ी चालाकी से अपनी राजनीतिक दुकान चलाने के लिए समाज को धार्मिक आधार पर बाँटते रहे हैं। इसी तुष्टीकरण की नीति से समाज और देश की एकता-अखंडता को गहरी चोट पहुँची है। धर्म को लेकर समाज में आज जिस प्रकार का वातावरण बन गया है। एक वर्ग के तुष्टीकरण और बहुसंख्यक समाज की उपेक्षा की नीति से सामाजिक ताने-बाने को गहरी क्षति पहुँची है।

अपनी सहिष्णुता के लिए विश्वविख्यात हिंदू समाज अब अनेक अवसर पर प्रतिक्रिया भी नहीं देता है, क्यों? मुस्लिम समाज अपने आप को देश का सामान्य नागरिक मानने के लिए तैयार नहीं है, क्यों? वह सब जगह अपने लिए सहूलियतें माँग रहा है, क्यों? यदि हम इन प्रश्नों का उत्तर ईमानदारी से तलाशेंगे, तब हमें ज्ञात होगा कि आखिर देश की सेक्युलर छवि को किसने सबसे अधिक नुकसान पहुँचाया है? समाज में विभाजनकारी सोच को बढ़ावा किसने दिया? समाज में असहिष्णुता के बीज किसने बोए?

इन सबके पीछे एकमात्र कारण है मुस्लिम वोट बैंक, जो केवल हिन्दुत्व विरोधी मानसिकता को खुलकर दिखाने व मुस्लिम हितैषी दिखते हुए इस्लामी आतंकवाद का कंलक धोकर उसके समानांतर ”हिन्दु आतंकवाद” का पौधा उगा कर ही हासिल किया जा सकता है। मुस्लिम वोट बैंक के लिए ही इस देश के बहुसंख्यक “हिंदुओं” की भावनाओं से बार-बार खिलवाड़ हो रहा है।

समय आ गया है जब मुसलमानों को ख़ुद अपना अच्छा बुरा सोचना होगा। तुष्टिकरण की राजनीती उनको ऊपर उठाने के स्थान पर रसातल में ले जा रही है। इनसे भी होशियार रहने की जरूरत है, क्या देश के मुस्लमान इस बात को समझेंगे?

हम हिन्दू है आखिर में इतनाही कहेंगे..

” सर्वे भवन्तु सुखिन:. . . . . . .”

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