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डिजिटल उपवास से जीवन में संतुलन आएगा

मोबाइल,(mobile)सोशल मीडिया (social media), इंटरनेट इन सब का व्यसन में रूपांतर होता हुआ दिखाई दे रहा है, और यह दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इन व्यसनो से हमारी नींद पर,आत्मविश्वास पर और आरोग्य पर दुष्परिणाम हो रहा है। इनके ज्यादा इस्तेमाल से हम हमारे खाने -पीने की तरफ दुर्लक्ष कर रहे हैं।हम व्यायाम नहीं कर रहे हैं। बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे हैं। चिड़चिड़ाहट बढ़ रहा है।लोगों में आत्मविश्वास की कमी आ रही है।इन सबके दुष्परिणाम व्यक्तिक, कौटुंबिक और सामाजिक स्तर पर देखने को मिल रहे हैं। डिजिटल माध्यमों की वजह से मन का संतुलन बिगड़ रहा है।

डिजिटल माध्यमों की (digital media)आवश्यकता तो है इनके साथ ही हमें जीना है , पर इनके अति उपयोग करने से अनेक विषाक्त द्रव्य शरीर में तथा मन में प्रवेश कर रहे हैं।इसका शरीर के बाहर और मन के बाहर निकलना यही इसका उपाय है। आयुर्वेद में जब आम संचेती ज्यादा होती है तब लंघन यह प्रथम उपचार बताया है।वैसे ही हमें डिजिटल डिटॉक्स (digital detox) करना चाहिए ,मतलब उपवास करना चाहिए। उपवास दिन में 2 घंटे, हफ्ते में 2 घंटे, या हफ्ते में 1 दिन, 15 दिन में 1 दिन, या महीने में 1 दिन इस प्रकार से हम कर सकते हैं। इस डिजिटल उपवास (digital upvaas) से शरीर के और मन के विषैले द्रव्य दूर होंगे और हमारा व्यक्तिगत, कौटुंबिक और सामाजिक स्तर सुधरना शुरू हो सकता है।डिजिटल उपवास यह आज की जरूरत बन गई है।

वैद्या.कांचन अमित सुर्यवंशी
भायखला,मुंबई

जय धन्वंतरी, जय आयुर्वेद

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