9वां द रूट्स: ओपन माइक सफलता पूर्वक संपन्न
गत शनिवार 17 फरवरी 2024 को मुंबई महानगर स्थित जन सेवा मंडल, जी. एच. मलकानी पुस्तकालय, जुहू परिसर में। “द रूट्स” नामक संस्था ने कविता ओपन माइक मंच का 9वाँ सत्र सफलता पूर्वक आयोजित किया। कार्यक्रम में मुंबई के सुदूर क्षेत्रों से युवा कवि, शायर, लेखक, गीतकार, सम्मिलीत हुए।
जैसा कि द रूट्स संस्था के नाम से विदित है यह आयोजन हमारे जड़ों से जुड़ने की मुहिम है। भारतीय संस्कारों से ओत-प्रोत, वसुधैव कुटुंबकम् के आदर्श का प्रतिपादन करते “द रूट्स” के आयोजनों में साहित्य, कला, संगीत के माध्यम से भारतीय संस्कृति का सुंदर समावेश मिलता है।
‘द रूट्स ओपन माइक’, हर महीने के तीसरे शनिवार को जुहू में आयोजित किया जाता है, इसमें नए पुराने कवियों, शायरों और लेखकों को एक नि:शुल्क मंच प्रदान किया जाता है।
फूहड़ ओपन माइक्स और अश्लील स्टैंडअप्स के इस दौर में ‘द रूट्स ओपन माइक’, माटी के मूल्यों, हमारे संस्कारों और भारतीयता की जड़ों से जुड़ी रचनाओं और कलाओं को प्रोत्साहन देते हैं तथा एक संस्कारित समाज और सुसंस्कृत राष्ट्र के निर्माण हेतु रचनाकारों का आह्वान करते हैं।
द रूट संस्था का ध्येय वाक्य:
जुड़ें जड़ों से।
इस संस्था की नींव, कवि, लेखक, गीतकार ऋषि उपाध्याय एवं सुप्रसिद्ध वॉइस ओवर आर्टिस्ट एवं कवि अरुण शेखर सरीखे संस्थापक सदस्यों द्वारा डाली गई। जून 2023 से शुरू होकर आगे बढ़ता हुआ, “द रूट्स” का मंच एक उज्जवल भविष्य में सबको साथ लेकर चल रहा है।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि हिंदी ओटीटी सिने अभिनेता एवं रंगमंच कलाकार अशोक पाठक, संगठन मंत्री उदय शेवडे, कार्यालय प्रमुख अजीत गौड़, संस्कार भारती कोंकण प्रांत, चित्रपट शाखा के सरंक्षक संजय वर्मा और संथापक सदस्य अरुण शेखर द्वारा दीप प्रज्वलित कर के किया गया, जिसके दौरान संस्कार भारती के सदस्य चेतन बिंदवाल द्वारा दीप प्रज्वलन गीत “या कणाकणातुन दिव्य तेज प्रगटेल” प्रस्तुत किया गया। संयुक्त रूप से यह आह्वान किया गया कि दीप के प्रकाश के तले कार्यक्रम सुचारू रूप से चले। संस्कृति और प्रकृति से प्रेम व्यक्त करते हुए अतिथियों को तुलसी दल से सम्मानित किया गया।
TVF की वेबसीरीज़ पंचायत 2 में “विनोद” के किरदार में खूब पसंद किए जाने वाले अशोक पाठक ने अपने फिल्मी सफ़र की शुरुआत बिट्टू बॉस फिल्म से की। अपनी अभिनय यात्रा के ग्यारह वर्षों में उन्होंने कई फिल्मों और वेबसीरीज़ में अभिनय किया और लगातार रंगमंच से जुड़े रहे हैं। संक्षिप्त वार्ता में अपने संघर्ष के दिनों की बात साझा करते अशोक पाठक ने बैचमेट रोहित की कविता से पंक्तियां कहीं, “युगों-युगों से मैं जिस चीज़ की तलाश में हूं, उसका मिलना इतना आवश्यक नहीं, जितना मेरा खोजना है”।
निर्मल हास्य, व्यंग्य और उम्दा शायरी के साथ कार्यक्रम का मनोरंजक संचालन प्रसिद्ध एक्टर, एंकर एवं सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर कल्याणी एवं कवि, शायर निलेश नाग ने संयुक्त रूप से किया।
संध्या की सबसे पहली प्रस्तुति इतिहास के प्राध्यापक एवं ग़ज़ल गायक, सेल्विन फर्नांडिस की रही जिन्होंने “पतझड़ का पत्ता” व अन्य रचनाओं का पाठ किया।
राजस्थान के तुलसीराम पालीवाल ने ओजरस युक्त प्रगतिशील कविता “भगवान से प्रश्न” के माध्यम से आज समाज में होते नैतिक पतन के ऊपर आवश्यक चिंता व्यक्त की।
माहौल को वीर-रसमय बनाते हुए लखीमपुर, उत्तरप्रदेश के मूल निवासी एवं मुंबई में कार्यरत सॉफ्टवेयर अभियंता, कवि आलोक शुक्ला ने व्यास रचित महाकाव्य महाभारत के पात्र कर्ण पर आधारित अपनी रचना “कौंतेय बनाम कौंतेय” का ओज पूर्ण पाठ किया।
माहौल के सांस्कृतिक रंग में स्वर से स्वर मिलाते हुए बिहार से रंगमंच एवं सिने कलाकार कवि राहुल राजदेव ने हाल ही में संपन्न श्री राम प्राण प्रतिष्ठा आयोजन पर आधारित “अपने घर आए राम” कविता का प्रभावशाली पाठ किया।
वसंत-ऋतु के पावन अवसर पर सरस्वती के वरद पुत्र सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अभिनेता अरुण शेखर ने निराला का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया, छंद मुक्त कविताओं के आरंभ पर बात की, राम की शक्तिपूजा में निहित ध्वन्यात्मकता जैसे कविता में पखावज का नाद हो रहा हो पर युवा प्रस्तोताओें एवं दर्शकों का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने “वीणा वादिनी वर दे” एवं “अभी न होगा मेरा अंत” जैसी कालजयी रचनाओं के माध्यम से द रूट्स के मूल सिद्धांतों का प्रतिपादन किया।
संस्कार भारती कोंकण शाखा की सदस्य, संस्कृत से पीएचडी सुचेता अश्विन सावंत ने ख़ास इस कार्यक्रम के लिए विट्ठल जी पर रचित, जातिवाद पर प्रहार करती कविता का पाठ किया।
मुंबई में रह-रहे, मूल रूप से बस्ती, उत्तरप्रदेश के निवासी लेखक आर्यांश अरोरा ने अपनी ग़ज़ल में दु:ख की यात्रा पर प्रस्तुति दी और “ऑपरेशन थिएटर” कविता के माध्यम से दाम्पत्य जीवन के प्रेम को व्यक्त किया। शायर राना साहब विक्रांत तिवारी की उम्दा शायरी “यूं तो एक अरसा हुआ मुझे नींद से जागे हुए /पर इक ख़्वाब मेरी आंख से ओझल न हो सका” ने समां बांधा।
पेशे से वित्तीय सलाहकार सुशील सिंघानिया ने स्वरचित “हिंदी प्रेम” कविता का पाठ करते हुए भाषा की महत्ता पर बल दिया।
अभिनेता, कलाकार अग्रज पांडे की प्रस्तुति हँसते-हँसाते रहो और ग़म भुला के रहो पर कायम रही। मोटिवेशनल स्पीकर चंद्रेश उपाध्याय ने अवचेतन की शक्ति और आकर्षण के सिद्धांत विषय पर केंद्रित कहानी पाठ की प्रस्तुति दी।
कवि विनय कुमार मिश्र ने श्री राम स्तुति में सस्वर पाठ से मौजूद सभी का मन मोह लिया। उनकी पंक्ति” एक माटी का दीया/अंधेरे से सारी रात लड़ता है, तू तो भगवान का दीया है/ किस बात से डरता है” ने अच्छी-ख़ासी वाह-वाही बटोरी।
संस्था से जुड़े, लाइफ़ कोच एवं विचारक आकाश शुक्ला ने शीर्षक “मैं तुमसा ही हो जाऊंगा” प्रेम कविता का रुचिकर पाठ किया।
रूट्स ओपन माइक में प्रथम बार उपस्थित मुंबई से पॉडकास्टर संजू बैनर्जी ने भगवान जगन्नाथ पर श्लोक पाठ प्रस्तुति दी।
हास्य-कलाकार, कवि गुल बेलानी जी ने अपनी कविता के माध्यम से स्त्री एवं पुरुष विमर्श की कविताओं का पाठ किया।
कवि उदय दिवाकर पांडे ने हिंदी गीत परिपाटी में मुग्धकर प्रस्तुति दी, पंक्तियाँ, “हे सखी देख पूनम खिला आसमां /ये विरह वेदना आज मिट जाएगी /प्रेम का दीप चौखट पे चारों पहर /जब जलेगा कठिन रात कट जाएगी” सराही गईं।
कवियत्री प्रज्ञा मिश्र पद्मजा ने नवांकुर प्रकाशन से प्रकाशित “काव्यांकुर 7” साझा संग्रह से स्वरचित प्रेम कविता “मिलन” और “इश्क विश्क” की मोहक प्रस्तुति दी।
मंच पर पहली बार जुड़ीं, नवी मुंबई की रचनाकार नंदिता माजी शर्मा ने स्त्री विमर्श पर अपनी रचना ‘संहार शेष है’ का सशक्त पाठ किया ; “कल्कि के धनुष की अभी, टंकार शेष है,/कितनी ही सुताओं का, प्रतिकार शेष है,/तीर तलवारों से अभी शृंगार शेष है,/सज्ज हो जाओ बेटियों, संहार शेष है” साथ ही अपने देशभक्ति भावना से ओत प्रोत दोहों से मुग्ध कर दिया।
आयुर्वेद और ज्योतिषशास्त्र से जुड़े डॉ. ध्रुवा ने प्रेम कविता पाठ किया। मंच से पहली बार जुड़ी फिल्म मेकिंग की छात्रा अतीशा नागर की प्रस्तुति सत्र की अंतिम प्रस्तुति रही और विषय की मौलिकता के लिए सराही गई।
प्रस्तोताओं के अलावा कार्यकर्ता टोली में तन्मय जहागीरदार , सुधीर सेठ, प्रफुल्ल, चेतन, धर्मेंद्र गौड़ (कैमरा सेवा), जगदीश निषाद प्रमुख नाम हैं। संरक्षक मंडल में अरुण शेखर, योगेश कुलकर्णी, श्री हरि कुलकर्णी, संजय गोडसे, उदय शेवड़े, श्रवण मिश्रा, संदीप पाटिल प्रमुख नाम हैं। जन सेवा मंडल से सहयोग रूप में कार्यक्रम स्थल प्रदान किया गया। कार्यक्रम का समापन उदय शेवड़े द्वारा धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।
लेखिका : – प्रज्ञा मिश्र