फ्रांसिस जेवियर ने शासकीय सहायता से बलपूर्वक हिन्दुओं का कन्वर्जन शुरू कराया
पुर्तगालियों के भारत आने और गोवा में रह जाने के बाद से ईसाई पादरियों ने हिन्दुओं का जबरन कन्वर्जन कराना शुरू कर दिया था हालांकि शुरूआती दौर में ज़ेवियर को कोई विशेष सफलता हाथ नहीं लगी। जेवियर ने जब पाया कि कन्वर्जन में ब्राह्मण सबसे बड़े बाधक बन रहे हैं।तो उसने इस समस्या के समाधान हेतु ईसाई शासन की सहायता ली। वाइसराय द्वारा यह आदेश लागू किया गया कि सभी ब्राह्मणों को पुर्तगाली शासन सीमा से बाहर कर दिया जाए।इसके तहत गोवा में किसी भी नए मंदिरके निर्माण एवं पुराने मंदिर की मरम्मत करने की इजाज़त नहीं थी।
जब इस आदेश का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा तब अलग आदेश लागू किया गया कि जो भी हिन्दू ईसाई शासन की राह में बाधा बनेगा उनकी संपत्ति ज़ब्त कर ली जाएगी। इससे भी सफलता न मिलने पर अब और भी कठोर कानून लागू किया गया कि राज्य के सभी हिन्दुओं को या तो ईसाई धर्म अपनाना होगा या फिर देश छोड़ देना होगा। इस आदेश के कारण हजारों हिन्दू विवश हो ईसाई बन गए।
ईसाई मिशनरी विदेशी पैसे का इस्तेमाल करते हुए पिछले सात दशकों में पूर्वोत्तर के आदिवासी समाज का बड़े पैमाने पर कन्वर्जन करा चुके हैं। यही सब मध्य भारत के वनवासी क्षेत्रों में भी चल रहा है, जहाँ इन गतिविधियों का फायदा नक्सली भी उठाते हैं। ईसाईयों ने इस इस धर्म परिवर्तन को एक अभियान के रूप में लिया है जो अभी भी अनवरत चल ही रहा और तो और अब इन ईसाइयों द्वारा नए- नए तरीके से हिन्दू लोगों को अपने धर्म की ओर आकर्षित किया जाता हैं। पैसे से धर्म परिवर्तन कराने के अलावा और भी बहुत तरह के प्रयोग किए जाने लगे हैं।
बात सिर्फ यहीं पर खत्म नहीं होती है ईसाईयों ने इस कन्वर्जन एक व्यापार के रूप में विकसित किया है। जिस तरह Multi Level Marketing किया जाता है ,उसी तरह अगर कोई ईसाई किसी एक हिन्दू को ईसाई बनाता है तो उसे अच्छी खासी रकम दी जाती है और अगर वही हिन्दू जो इसाई बनने के बाद किसी और हिन्दू को ईसाई बनाता है तो पहले वाले व्यक्ति को उसका कमीशन भी जाता है .. (क्रमशः)